राज्य में घट रहा घना जंगल , बढ़ सकता है वन्यजीव व मानव संघर्ष

Dense forest in the state, wildlife and human conflict may increase
राज्य में घट रहा घना जंगल , बढ़ सकता है वन्यजीव व मानव संघर्ष
राज्य में घट रहा घना जंगल , बढ़ सकता है वन्यजीव व मानव संघर्ष

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  हाल ही में भारतीय वनसर्वेक्षण प्रारूप 2019 की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में खुला जंगल बढ़ा है। लेकिन घना व मध्यम जंगल कम हुआ है। हालांकि वन क्षेत्र का बढ़ना व कम होने का कोई ठोस कारण सामने नहीं आ रहा है। रिपोर्ट को गंभीरता से से लेते हुए इस पर अभ्यास किया जा रहा है। घना व मध्यम जंगल का कम होना वन्यजीवों के इन्सानी इलाकों में आने का संकेत देती है। 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य में कुल भौगौलिक क्षेत्र के मुकाबले वन परिक्षेत्र 16.4 प्रतिशत है। कुल वन वन-परिक्षेत्र के मात्र 17.23 प्रतिशत में ही घना जंगल है। शेष वनक्षेत्र या तो मध्यम है, या फिर खुला वन क्षेत्र है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में घना जंगल – 8736 वर्ग किलोमीटर है। मध्यम घना जंगल – 20652 वर्ग किलोमीटर वहीं खुला वन क्षेत्र -  21294 वर्ग किलोमीटर है।

वर्ष 2019 की भारतीय वनसर्वेक्षण प्रारूप के अनुसार अब महाराष्ट्र राज्य में खुला वन क्षेत्र 191 चौ. कि.मी बढ़ा है लेकिन घना जंगल 15 चौ. कि.मी. की व मध्यम जंगल में 80 चौ. कि.मी की वृध्दि हुई है। वन्यजीव कोर इलाके में यानी घने जंगल व मध्यम जंगल में रहते हैं। ऐसे में इनकी रहने की जगह कम होने का चित्र सामने दिख रहा है। मानव व वन्यजीवों के संघर्ष वर्षों से चले आ रहे हैं। क्रांक्रिटी जंगल व जंगली क्षेत्र पर इंसानों द्वारा लगातार होने वाले अतिक्रमण के कारण आनेवाले समय में यह संघर्ष बढ़ने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बांस उपज में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर  
उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार कोर इलाके में बांस उपज में राज्य प्रथम है।  बांस निर्मिती क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है। वन क्षेत्र में 2017 की रिपोर्ट अनुसार पेड़ 9 हजार 831 चौ. किम.मी. जगह पर थे ।  अब 2019 की रिपोर्ट के अनुसार इसमें वृद्धि हुई है। 10 हजार 806 चौ. किमी पर पेड़ मौजूद है। 3 साल में 971 चौ. कि.मी. की वृद्धि हुई है।

Created On :   1 Jan 2020 8:52 AM GMT

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