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Nagpur News: पहली सोलर बोट से पेंच नदी में रोमांच भरी होगी जंगल सफारी, बस हरी झंडी का है इंतजार

- जंगल सफारी का सोलर बोट से रोमांच
- इस सोलर बोट की पैसेंजर कैपिसिटी 25 के करीब है.
- इलेक्ट्रिक इंजन बेहद कम आवाज करता है
Nagpur News. विदर्भ में अब पेंच की जंगल सफारी का रोमांच अलग अंदाज में उठाया जा सकेगा। परमीशन मिलने के बाद प्रदूषण मुक्त पहली सोलर बोट को नदीं में उतारी जाएगी।.जिसके बाद पर्यटक नदी किनारे बिना आवाज वाली बोट से जंगल का रोमांचक अनुभव कर सकेंगे। सोलर बोट का लंबे समय से इंतजार हो रहा था। जो खत्म हो गया। केरल से सोलर बोट पेंच भेजी गई है। अब बस एरीकेशन विभाग से हरी झंडी की देरी है। इसके मिलते ही कोलीतमारा से कुवारा भीवसन तक 24 किलोमीटर तक रोमांचित सफर करने का मौका पर्यटकों को मिल सकेगा। दूसरी बोट भी जल्द ही शामिल की जाएगी। पेंच नेशनल पार्क केवल महाराष्ट्र ही नहीं बलकि पूरे देश के लिए आकर्षण का केन्द्र है।
दो राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 1200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पेंच राष्ट्रीय उद्यान फैला हुआ है। यहां पेंच नदी पर तोतलाडोह बांध के बन जाने से यहां लगभग 72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो गया। इस कारण से 54 वर्ग किलोमीटर पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में और शेष महाराष्ट्र में स्थित है। महाराष्ट्र का मुख्य क्षेत्र आधिकारिक तौर पर 1999 में टाइगर रिजर्व बन गया। पेंच टाइगर रिजर्व में इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच मोगली अभयारण्य और बफर वन शामिल हैं ।
इस जंगल के दायरे में 50 बाघ और इससे ज्यादा तेंदुए रहते हैं। इसके अलावा यहां वन्यजीवों में हिरण, नीलगाय, बारासिंगा, लोमडी, मगरमच्छ हैं। ऐसे में हर साल लाखों की संख्या में यहां देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं। पिछले साल का आंकड़ा देखें, तो एक लाख से ज्यादा पर्यटकों ने सिल्लारी, कोलीतमारा, खुबाडा, पवनी, खुर्सापार में सैर सपाटे का लुत्फ उठाया। जीप में बैठकर वन्यजीवों का दीदार करना शानदार अनुभव है। इसे लेकर पेंच प्रशासन ने पानी में सफारी कराने की कवायद शुरू की थी। हालांकि कई कोशिशों के बाद बोट नहीं पहुंच पाई थी। आखिरकार सोमवार को 25 से ज्यादा यात्री क्षमतावाली सोलर बोट पेंच में आ गई है। जल्द ही यहां जंगल सफारी का आनंद उठाया जा सकेगा।
यह सोलर बोट यहां साइलेंट बोट है। खास बात ये है कि इस बोट के जरिए टाइगर रिजर्व में पर्यटक नदी के जरिए जंगल सफारी भी कर सकेंगे। सोलर पावर और इलेक्ट्रिक मोटर्स से संचालित बोट इतनी शांति से चलती है कि जंगल में बाघों को भी इसकी आवाज सुनाई नहीं देगी।
काम की कुछ खास बातें
इस सोलर बोट की पैसेंजर कैपिसिटी 25 के करीब है.
बोट सोलर पैनल और बैटरियों से संचालित होती है.
इसमें इलेक्ट्रिक इंजिन हैं.
सोलर बोट के संचालन से अंदाजन प्रति घंटा 8 से 10 लीटर पेट्रोल की बचत होगी.
इलेक्ट्रिक इंजन बेहद कम आवाज करता है। इससे वन्य जीवों को देखने का बेहतर अनुभव मिलेगा.
सोलर सिस्टम होने की वजह से बोट प्रदूषण रहित है.
सोलर बोट में एक समय में कई पर्यटक बैठकर बोटिंग का आनंद उठा सकते हैं। इसमें लाइफ जैकेट सहित अन्य सुविधाएं भी मिलती है। डैप्थ मीटर लगा होता है, जोकि पानी की गहराई बताता है। इससे बोट का कीचड़ में धंसने या दलदली पानी में फंसने का डर भी नहीं रहता। इसे सुरक्षित माना जाता है।
Created On :   8 April 2025 10:26 PM IST