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इंफाल नौसेना में शामिल: जहाजों पर हमला करने वालों को समुद्र तल से खोज निकालेंगे और सजा देंगे- राजनाथ सिंह
- युद्धपोत इंफाल नौसेना में हुआ शामिल
- भारत की समुद्री ताकत का प्रतीक
- ब्रह्मोस से लैस है आईएनएस इंफाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अरब सागर में एमवी केम प्लूटो पर ड्रोन से हमले और कुछ समय पहले लाल सागर में एमबी साईबाबा जहाज पर हुए हमले को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है। जिन्होंने भी इस हमले को अंजाम दिया है, उन्हें हम समंदर की गहराइयों से ढूंढ निकालेंगे और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। जंगी पोत आईएनएस इंफाल को नौसेना में शामिल करने से जुड़े समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद भारतीय नौसेना ने समुद्र में निगरानी बढ़ा दी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक शक्ति से कुछ ताकतों को जलन हो रही है। भारत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में नेट सिक्युरिटी प्रोवाइडर की भूमिका में है। हम मित्र देशों के साथ मिलकर समुद्री मार्ग को व्यापार के लिए सुरक्षित बनाएंगे। हम अपने लहरों के पहरेदारों (नौसैनिकों) की काबिलियत और ताकत पर पूरा भरोसा करते हैं।
भारत की समुद्री ताकत का प्रतीक
रक्षा मंत्री ने कहा कि आईएनएस इंफाल भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का प्रतीक है और मुझे विश्वास है कि इंडो-पैसिफिक रीजन में इंफाल ‘जलमेव यस्य बलमेव तस्य’ यानी जिसका जल उसका बल के हमारे सिद्धांत को और मजबूती प्रदान करेगा।
सुरक्षा के लिए चार विध्वंसक तैनात
सिंह ने कहा कि हमारा ज्यादातर विदेशी व्यापार समुद्री रास्ते से ही होता है। इसलिए समुद्र की सुरक्षा हमारे लिए सबसे जरूरी है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों से निपटने के लिए चार विध्वंसक जहाज तैनात किए गए हैं।
ब्रह्मोस से लैस है आईएनएस इंफाल
सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस से लैस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है। मझगांव डॉक में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल थे।
मझगांव डॉक में तैयार
इंफाल विशाखापत्तनम श्रेणी के चार विध्वंसक युद्धपोतों में से तीसरा है। इसे माझगांव डॉक लिमिटेड ने तैयार किया है। इंफाल पहला युद्धपोत है जिस पर परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिलाइल दागा गया था। इस युद्धपोत का जलावतरण 20 अप्रैल, 2019 को हुआ था। 20 अक्टूबर, 2023 से नौसेना इसका परीक्षण कर रही है।
जंगी पोत की खूबियां
-सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस से लैस
-लंबाई 163 मीटर, वजन 7,400 टन
-75 फीसदी स्वदेश निर्मित सामग्री
-30 समुद्री मील/घंटा स्पीड, 315 कर्मी तैनात
-गनरी और मिसाइल विशेषज्ञ कैप्टन के.के. चौधरी को कमान
-अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस
-युद्धपोत में लगे हैं आधुनिक निगरानी रडार
-टॉरपीडो ट्यूब लांचर, रैपिड गन माउंट, रॉकेट लांचर तैनात
-एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टर, सोनार व इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस
-परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध से निपटने में सक्षम
Created On :   26 Dec 2023 9:53 PM IST