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Chandrapur News: दूल्हे ने विवाह मेें नहीं की फिजूलखर्ची, बचे हुए पैसे से गांव में बनाई सड़क

- मित्रों - रिश्तेदारों ने दीं किताबें और पौधों का उपहार
- दोनों परिवारों ने मिलकर किया तय
Chandrapur News 28 अप्रैल को चंद्रपुर जिले के सुसा गांव में कम लागत वाला विवाह समारोह आयोजित किया गया। इस शादी में दूल्हे ने शादी में होनेवाली फिजूलखर्ची टालकर इन पैसों से गांव में किसानों के लिए शिवार सड़क बनाई। मित्रों और अन्य रिश्तेदारों ने शादी के अवसर पर जोड़े को उपहार में किताबंे और पौधे दिए। सुसा गांव के श्रीरंग गणपत एकुडे के बेटे श्रीकांत और यवतमाला के मोजर गांव के गोपीकिसन गरमडे की बेटी अंजलि की शादी हुई। दुल्हा श्रीकांत एकुडे उच्च शिक्षित हैं और उन्होंने एम.एस.सी. तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह प्रगतिशील किसान हैं, इसके साथ ही सामाजिक संगठनों के माध्यम से विभिन्न सामाजिक उपक्रम करते हैं। जब उन्होंने शादी करने का फैसला लिया तो उनकी एक ही शर्त थी। यानी लड़की और परिवार को रजिस्ट्रेशन पद्धति से विवाह कराने के लिए तैयार होना चाहिए।
यह व्यवस्था चंद्रपुर जिले के प्रगतिशील और कृषि भूषण पुरस्कार विजेता किसान सुरेश गरमडे की मध्यस्थता से हुआ। जब सुरेश गरमडे ने बेटी अंजलि के पिता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्हें निर्णय लेने में कुछ समय लिया। अपने परिवार से बात करने के बाद वह सहमत हो गये। वर-वधू के बीच विचार-विमर्श और संवाद के माध्यम से आधुनिक, प्रगतिशील सोच के साथ आयोजित किया गया। विवाह की पारंपरिक पद्धति को दरकिनार कर दिया गया। शादी में कोई फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए। दहेज, भव्य सजावट और प्रकाश व्यवस्था, डीजे, बैंड संगीत, महंगे आभूषण और स्वादिष्ट भोजन इनसे सौ फीसदी बचना था। यह पैसा सभी के उपयोग में खर्च करने का दोनों परिवार ने तय किया।
दो हजार फीट लंबी सड़क का काम शुरू : मानसून के दौरान शिवार की सड़कों की हालत बहुत खराब थी। किसान तो दूर, पशु भी वहां से नहीं जा पा रहे थे इसलिए, श्रीकांत ने अपनी शादी के खर्च से पैसे बचाए और शिवार की दो बहुत कठिन सड़कों को पक्का किया। इससे अब किसान मानसून के दौरान भी वहां जा सकेंगे। इस युवा किसान ने परंपरा को दरकिनार कर किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए 2 हजार फीट से अधिक लंबी सड़क बना दी। इससे किसानों को आवागमन करना आसान हो गया है।
खेत में लगाए फलों के पेड़ : यह सत्यशोधक विवाह समारोह था, इसलिए अहेर पद्धति अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। रचनात्मक सोच रखने वाले श्रीकांत ने अपने सभी रिश्तेदारों के सामने उपहार स्वरूप फल वृक्ष देने का संकल्प व्यक्त लिया और आश्चर्य की बात यह है कि रिश्तेदारों और मित्रों ने भी इस अवधारणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और 90 से अधिक फल पौधे उपहार स्वरूप दिए। इसमें 36 विभिन्न प्रकार के पेड़ शामिल हैं। जिससे उनके खेत में 1600 वर्ग मीटर का एक फ्रूट फॉरेस्ट निर्माण होगा। इस विवाह की सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से चर्चा की जा रही है। इस विवाह ने उन लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है जो कर्ज लेकर अपनी शादी पर बेतहाशा खर्च करके अपना भविष्य गिरवी रख देते हैं। इसलिए, विवाह की भी सराहना की जा रही है।
Created On :   30 April 2025 3:11 PM IST