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Chandrapur News: 1600 किमी का सफर तय कर विदर्भ के अभयारण्यों में आएंगे 34 गिद्ध

- ताड़ोबा में 5, पेंच में 14 मेलघाट में 15 लाए जाएंगे
- ताड़ोबा में संवर्धन, संरक्षण व जटायु विस्तार का कार्यक्रम चलाया
Chandrapur News योगेश चिंधालोरे . रामायण में प्रमुख पात्र रहे जटायू (गिद्ध) खाद्य और अन्य विविध कारणों के चलते विलुप्त होने की कगार पर है। इनके संवर्धन, संरक्षण और उनके विस्तार कार्यक्रम के तहत 34 गिद्ध विदर्भ के अभयारण्यों में लाए जाएंगे। ताड़ोबा में 5, पेंच 14 और मेलघाट अभयारण्य में 15 गिद्धों को हरियाणा के पिंजोर स्थित संशोधन केंद्र से करीब 1600 किलोमीटर का सफर तय कर विशेष सुविधा में लाया जाएगा।
ताड़ोबा और पेंच में दूसरे चरण में तो मेलघाट में पहली बार यह गिद्ध आएंगे। पहले चरण में ताड़ोबा और पेंच में 10-10 गिद्ध जनवरी 2024 में लाए गए थे। गौरतलब है कि, ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प के कोलसा (वन्यजीव) परिक्षेत्र के बोटेझरी कैम्प में जटायू संवर्धन प्रकल्प का राज्य स्तरीय उद्घाटन 21 जनवरी, 2024 को तत्कालीन वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने करते हुए 10 गिद्ध को मुक्त किया था। दिनोंदिन गिद्धों की कम होती संख्या को देखते हुए बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से ताड़ोबा में संवर्धन, संरक्षण व जटायु विस्तार का कार्यक्रम चलाया गया है।
यूरोपियन डिवाइस लगाकर निसर्ग मुक्त हुए थे : ताड़ोबा के जटायू संवर्धन प्रकल्प में रखे गए गिद्धों को जीएसएम ट्रांसमिशन ट्रैकिंग डिवाइस सफल रूप से 4 जुलाई को लगाई गई थी। यूरोपियन डिवाइस के साथ सभी गिद्ध निसर्ग मुक्त हुए थे।
पिंजोर से लाए गए सफेद पूंछ वाले 10 गिद्धों को पहले इस वनक्षेत्र के मौसम की आदत हो, इसलिए प्री-रिलीज एवेयरी में विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया था।
6 माह रोजमर्रा व सूक्ष्म अभ्यास बीएनएचएस संस्था के वैज्ञानिकों ने किया। उसके बाद वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने सभी 10 गिद्धों को जीएसएम ट्रांसमिशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाई और दो-तीन दिन के निरीक्षण पश्चात सभी गिद्धों को निसर्गमुक्त किया गया था।
गिद्धों को लाने पिंजोर पहुंची टीम : गिद्धों को लाने के लिए एक टीम सोमवार शाम को पिंजोर में पहुंची है। टीम में ताड़ोबा कोलसा के आरएफओ कातकर, पेंच के पशुवैद्यकीय अधिकारी, बीएनएचएस संस्था के वैज्ञानिकों का समावेश है। आरएफओ कातकर ने बताया कि हमें नागपुर आने में बुधवार रात हो सकती है।
दूसरे चरण में ताड़ोबा में 5 गिद्ध लाए जा रहे हैं। पहले चरण में लाए गए 10 में से 2 ही बचे हैं। - आनंद रेड्डी येल्लू, उपसंचालक कोर, ताड़ोबा-अंधारी बाघ प्रकल्प, चंद्रपुर
10 में से 2 ही बचे, वे भी छत्तीसगढ़ और पेंच में हैं : डिवाइस के साथ निसुक्त मुक्त हुए गिद्ध की रोजाना की हलहच पर वैज्ञानिक ध्यान रखे हुए थे, जिससे इस अभ्यास से गिद्ध संवर्धन और संरक्षण के लिए उपाय-योजना निश्चित हो सके। एक गिद्ध तो ताड़ोबा से छत्तीसगढ़, फिर गुजरात होते हुए वापिस महाराष्ट्र और अंत में कर्नाटक होते हुए तमिलनाड़ में पहुंचा था। ताड़ोबा से तमिलनाडु तक करीब 4000 किमी की यात्रा की थी। अभी वर्तमान में 10 में से 2 ही गिद्ध बचे हैं। उनमें से एक का लोकेशन छत्तीसगढ़, तो दूसरे का पेंच में है।
Created On :   22 April 2025 4:19 PM IST