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Chandrapur News: जटायु संरक्षण परियोजना , हरियाणा के पिंजोर से लाए गए 5 गिद्ध छोड़े ताड़ोबा में

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Chandrapur News जटायु संरक्षण परियोजना के तहत दूसरे चरण में हरियाणा के पिंजोर से लाए गए पांच सफेद पूंछ वाले गिद्धों (जिप्स बंगालेंसिस) के समूह को गुरुवार को ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के कोलसा रेंज में बोटेझरी में प्री-रिलीज एवियरी में छोड़ा गया। गिद्धों को हरियाणा के गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र (वीसीबीसी) से स्थानांतरित किया गया था। दूसरे समूह में पांच गिद्ध शामिल हैं, जिनमें तीन नर और दो मादा शामिल है। प्रत्येक की अलग-अलग पहचान और आयु रिकॉर्ड हैं। नर गिद्ध एफ24, उम्र 6 वर्ष, एन16, उम्र 2 वर्ष और एन77, उम्र 14 वर्ष हैं। दो मादा गिद्धों में जेड25, उम्र 6 वर्ष और जेड34, उम्र 3 वर्ष शामिल हैं।
यह परियोजना महाराष्ट्र वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जा रहा हैं। रीवाइल्डिंग प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उनके व्यवहार और हलचल की बारीकी से निगरानी की जाएगी। ताड़ोबा में गिद्धों को दूसरी बार छोड़ा गया है। इससे पहले 2024 में 10 गिद्धों को छोड़ा गया था, जिनमें से दो एन10 और जे74-बचे हैं।
ताड़ोबा एक अग्रणी संरक्षण मॉडल प्रस्तुत करता है, क्योंकि यह उन कुछ परिदृश्यों में से एक है, जहां वर्तमान में सफेद पूंछ वाले गिद्धों की कोई जंगली आबादी मौजूद नहीं है। यहां चल रहे प्रयासों का उद्देश्य इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति को ऐसे परिदृश्य में फिर से पेश करना और पुनर्स्थापित करना है, जहां से गिद्धों की आबादी पूरी तरह से गायब हो गई है। यह परियोजना पीसीसीएफ (वन्यजीव) श्रीनिवास राव, बीएनएचएस के अध्यक्ष प्रवीणसिंह परदेशी और बीएनएचएस निदेशक किशोर रीठे के मार्गदर्शन में और ताड़ोबा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रभु नाथ शुक्ला की देखरेख में चलाई जा रही है। डाॅ. श्रवण सिंह, डाॅ. काजवीन उमरीगर, हेमंत बाजपेयी, मयंक बर्डे, मनन महादेव, आरएफओ रुंदन काटकर और उनकी टीम ने गिद्धों के सुचारु परिवहन और उन्हें पक्षीशाला में छोड़ने को सुनिश्चित किया। उल्लेखनीय है कि, विदर्भ के अभयारण्यों में कुल 34 गिद्ध आए है। ताड़ोबा 5 व पेंच 14 तथा मेलघाट में 15 हंै। ताड़ोबा व पेंच में दूसरी और मेलघाट में पहली बार ही गिद्ध आए हंै।
Created On :   25 April 2025 3:50 PM IST