Amravati News: जंगलों की आग पर काबू पाने वन विभाग और मेलघाट टाइगर रिजर्व अलर्ट

जंगलों की आग पर काबू पाने वन विभाग और मेलघाट टाइगर रिजर्व अलर्ट
  • प्रत्येक वन रेंज में फायर ब्लेअर मशीनें और वाहनों की व्यवस्था
  • किसी भी समय जंगल में आग लग रही

Amravati News मेलघाट का जंगल इस समय भीषण गर्मी के कारण सूखा पड़ा है। गर्मियों में तापमान में वृद्धि के कारण जंगल में आग और दावानल की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। ऊंचे पहाड़ और घने जंगल में आग की लपटें उठते ही बाघ, भालू, तेंदुए, जंगली सुअर, सांभर, नीलगाय और हिरण जैसे जंगली जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भागने लगते हैं। करोड़ों की वन संपदा भी आग में खाक होती है। ऐसी घटनाओं पर नकेल कसने के लिए आग पर नियंत्रण के लिए वन विभाग और मेलघाट टाइगर रिजर्व अलर्ट मोड़ पर है। प्रत्येक वन रेंज में फायर ब्लेअर मशीनें और वाहनों की व्यवस्था के कारण आग पर तुरंत काबू पाना संभव हो रहा है। चौराकुंड वन परिक्षेत्र अधिकारी रवींद्र खेरडे ने बताया, ग्रीष्म में सतपुड़ा पर्वत शृंखला क्षेत्र में सुबहशाम हो या आधी रात हो किसी भी समय जंगल में आग लग रही है।

जंगल की आग पर तुरंत काबू पाने के लिए पूरा वन विभाग, टाइगर रिजर्व के अधिकारी, कर्मचारी और वनकर्मी अलर्ट मोड पर रहते हैं। आग बुझाने की प्राथमिक जिम्मेदारी वनकर्मियों की है। जंगल में आग लगने की स्थिति में उन्हें तुरंत वहां पहुंचाने के लिए सरकारी वाहनों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही यहां अग्निशामक यंत्र भी है। इन वनकर्मियों और अग्निशमन कर्मियों के बीच सहयोग से जंगल में एक विशेष क्षेत्र बनाकर आग पर नियंत्रण किया जा सकता है। मेलघाट के सभी वन परिक्षेत्र कार्यालयों में आग पर काबू पाने के लिए टीमें तैयार हैं। प्रत्येक वन रेंज कार्यालय के अंतर्गत घने जंगलों में संरक्षण कैम्प तैयार हैं, ताकि 12 महीने 24 घंटे जंगल में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। यदि जंगल में आग लग जाती है तो इस काम पर लगे कर्मचारी वायरलेस के जरिए पूरे क्षेत्र में सूचना पहुंचाते हैं। वन रेंज अधिकारी, वन रक्षक, वनपाल और अन्य सभी वनकर्मी समेत शिविर में तैनात कर्मचारी भी आग बुझाने के लिए तैयार विशेष कर्मियों की मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं।

जंगल में वॉच टावर : गर्मियों में पत्तियों के गिरने के कारण जंगल का रूप दल जाता है। इस बीहड़ और उजाड़ दिखने वाले जंगल पर नजर रखने के लिए पूरे मेलघाट जंगल में निगरानी टावर स्थापित किए गए हैं। यह वॉच टावर जंगल में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और जंगल में होने वाली हर हलचल को इस वॉच टावर से रिकॉर्ड किया जाता है। ये वॉचटावर कर्मचारी दूर से ही जंगल में धुआं या आग को तुरंत पहचान सकते हैं। वायरलेस सिस्टम के माध्यम से आग लगने की सूचना मिलते ही पूरा सिस्टम आग बुझाने के लिए घटनास्थल पर पहुंच जाता है। चौराकुंड वन क्षेत्र में अग्नि नियंत्रण टीम में कुल आठ लोग होते हैं। ये सभी आठ लोग गांव के युवा हैं और उन्हें आग बुझाने का अनुभव है। यह टीम दिन-रात सतर्क रहती है। उन्हें विशेष वर्दी दी गई है तथा आग में उनके पैर जलने से बचाने के लिए विशेष जूते भी उपलब्ध कराए गए हैं। जंगल में जहां पानी उपलब्ध है, वहां जल भंडारण की व्यवस्था पहले से कर लें। इस अग्नि नियंत्रण बल के युवाओं को ब्लेयर मशीन को ठीक से चलाने का अच्छा अभ्यास है।

आग का कारण प्राकृतिक नहीं : वन परिक्षेत्र अधिकारी रवींद्र खेरडे ने बताया, पूरे मेलघाट में जंगल में लगी आग का कारण प्राकृतिक नहीं है, बल्कि ये पूरी आग इंसानों द्वारा लगाई गई है। आग लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन वन विभाग लगातार वनों में आग लगने से रोकने के लिए जागरूकता पैदा करता रहता है। वनों की आग के हानिकारक प्रभावों के बारे में गांवों में जागरुकता बढ़ाई जा रही हंै। कार्यक्रम स्कूलों से लिए जाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भी जानकारी प्रदान की जाती है, फिर भी हम जहां भी आग लगती है, उसे तुरंत बुझाने का प्रयास करते हैं।

Created On :   2 April 2025 3:04 PM IST

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