Amravati News: चिखलदरा के कॉफी बागान में लगी आग , सैकड़ों पेड़ जलकर हो गए खाक

चिखलदरा के कॉफी बागान में लगी आग , सैकड़ों पेड़ जलकर हो गए खाक

Amravati News चिखलदरा के अपर प्लेटो क्षेत्र के ब्रिटिश कालीन कॉफी बगान में बुधवार की रात अचानक आग की लपेटें उठी और कई एकड़ में लगे कॉफी के बागान कुछ ही मिनटों में राख में तब्दील हो गए। आग कैसे लगी? इसको लेकर अनेक अटकलें लगाई जा रही हैं।

जानकारी के अनुसार भीषण गर्मी के इस मौसम में मेलघाट के कई क्षेत्रों में आग का कहर जारी है। जिसमें रिहायशी इलाकों से दूर अग्नितांडव आम बात है, लेकिन शहर से सटे इस बागान में आग लगने से हड़कंप मच गया है। जब आग धीरे-धीरे सिपना कॉलेज के कंपाउंड तक पहुंच गई, जहां कॉलेज के विज्ञान शाखा की लैब है। जिसमें कई प्रकार के रसायन रखे। हुए है, सही वक्त पर कॉलेज के कर्मचारी पहुंच गए और परिसर के आसपास की आग बुझाई। जिससे बड़ा अनर्थ टल गया।

हरियाली में आग कैसे? : 30 डिग्री तापमान में जंगल में लगी आग को प्राकृतिक मानना असंभव है, क्योंकि कॉफी के पेड़ इस गर्मी में भी हरे भरे और घनी छांव वाली जगह ही होते है। जहां आग तो क्या धूप भी बड़ी मुश्किल से पहुंचती है। ऐसी स्थिति में यह आग मानव निर्मित ही मानी जा रही हैं। जहां पिछले कुछ दिनों से बाघ के भी दर्शन हो रहे है और बाघ द्वारा कई पालतू पशुओं का शिकार भी किया जा रहा है। जिसे देखते हुए इस आग में किसी के शामिल होने की बात भी झूठलाई नहीं जा सकती है।

कॉफी उत्पादकों को लाखों की क्षति : कॉफी के एक पौधे को फलदायक बनाने में करीब 10 वर्ष का समय लगता है। जब उससे उत्पादन लिया जाता है। इस आग से करीब एक हजार से ज्यादा कॉफी के पेड़ राख हो चुके है। जिससे इस उत्पादन को लाखों का नुकसान हुआ है। यह क्षति 10 वर्षों तक पूर्ण नहीं होगी। यह कॉफी बागान की जगह आर सी मिशन की है। जिसमें लगी आग पर करीब तीन घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग, अग्निशमन और स्थानीयों की मदद से आग पर काबू पाया गया।

10 लाख की किताबें जलने से बचीं : यह आग मरियमपुर जाने वाले मार्ग की तरफ से कॉलेज परिसर तक पहुंची। जिस पर हमारे कर्मचारी और समय पर आए विद्यार्थियों द्वारा काबू पाया गया। जिससे एक बड़ा नुकसान टला है। हाल ही में कॉलेज की लाइब्रेरी के लिए दस लाख की नई किताबें लाई गई हैं। जिसे समय रहते बचा लिया गया और आगे ऐसी दुर्घटना ना हो, इसके लिए और भी उपाय योजना की जाएगी। - राजेश जयपुरकर, प्राचार्य सिपना कॉलेज


Created On :   11 April 2025 1:32 PM IST

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