नीरव मोदी-मेहुल चौकसी किसी को अपनी संपत्ति नहीं बेच सकते : NCLT
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कॉरपोरेट मिनिस्ट्री की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से जुड़ी कंपनियों को अपनी संपत्ति किसी को बेचने पर रोक लगा दी है। NCLT ने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से जुड़ी 64 कंपनियों पर ये रोक लगाई है। इनमें नीरव की कंपनी फायरस्टार डायमंड, मेहुल चौकसी की गीतांजलि जेम्स, गिली इंडिया, नक्षत्र समेत PNB के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। बता दें कि इस मामले में कॉरपोरेट मिनिस्ट्री ने 23 फरवरी को NCLT में पिटीशन फाइल की थी।
26 मार्च को अगली सुनवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉरपोरेट मिनिस्ट्री ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में तत्काल सुनवाई के लिए 23 फरवरी को पिटीशन फाइल की थी। इसी पिटीशन पर सुनवाई करते हुए NCLT ने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से जुड़ी 64 कंपनियों और लोगों को अपनी संपत्ति बेचने पर रोक लगा दी है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी, जिसमें इन सभी 64 लोगों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है।
कंपनी एक्ट 2013 के तहत हुई कार्रवाई
NCLT ने ये कार्रवाई कंपनी एक्ट 2013 की विभिन्न धाराओं के तहत की है। कॉरपोरेट मिनिस्ट्री ने कंपनी एक्ट के सेक्शन-221 और सेक्शन-222 समेत कई प्रावधानों के तहत NCLT में पिटीशन फाइल की थी। बता दें कि सेक्शन-221 के तहत पूछताछ और जांच के दौरान कंपनी की प्रॉपर्टीज को फ्रीज कर दिया जाता है, जबकि सेक्शन-222 के तहत संपत्तियों के बेचने पर रोक लगा दी जाती है।
मॉरीशस भी आया साथ में
PNB घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के खिलाफ कार्रवाई करने में अब मॉरीशस भी साथ आ गया है। मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन (FSC) ने एक बयान में कहा है कि "पंजाब नेशनल बैंक, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के बारे में मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया है।" बयान में कहा गया है कि "FSC सभी जानकारियों का आकलन कर रहा है और बैंक ऑफ मॉरीशस, मॉरीशस रेवेन्यू अथॉरिटी और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के साथ मिलकर इस मामले पर करीबी निगाह रखे हुए हैं।" बता दें कि FSC मॉरीशस में नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज की रेगुलेटरी अथॉरिटी है।
क्या है PNB घोटाला?
देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक कहे जाने वाले पंजाब नेशनल बैंक में पिछले दिनों 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा किया था। हाल ही में PNB ने CBI को 1251 करोड़ रुपए के एक नए फ्रॉड की जानकारी दी है, जिसके बाद इस घोटाले की रकम 11,356 से बढ़कर 12,607 करोड़ पहुंच गई है। इस घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी और पिछले 7 सालों में हजारों करोड़ रुपए फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए। दरअसल, डायमंड करोबारी नीरव मोदी और उनके साथियों ने साल 2011 में डायमंड इंपोर्ट करने के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच से कॉन्टेक्ट किया। आमतौर पर बैंक विदेशों से होने वाले इंपोर्ट के लिए LOU जारी करता है। इसका मतलब ये है कि बैंक नीरव मोदी के विदेश में मौजूद सप्लायर्स को 90 दिन के लिए भुगतान करने को राजी हुआ और बाद में पैसा नीरव को चुकाना था। इन्हीं फर्जी LOU के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी ब्रांचों ने PNB को लोन देने का फैसला लिया गया। इस घोटाले को खुलासा तब हुआ, जब PNB के भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी रिटायर हो गए और नीरव मोदी की कंपनी ने जनवरी में दोबारा से LOU जारी करने की सिफारिश की। नए अधिकारियों ने ये गलती पकड़ ली और घोटाले की जांच शुरू कर दी। बैंक के मुताबिक, जनवरी में इस फर्जीवाड़े का पता चला तो 29 जनवरी को सीबीआई में शिकायत की और 30 जनवरी को FIR दर्ज हो गई।
Created On :   5 March 2018 3:37 AM GMT