तो क्या पंजाब नेशनल बैंक में 29000 करोड़ का घोटाला हुआ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में कितने करोड़ का घोटाला हुआ? ये अब तक साफ नहीं हुआ है। ये घोटाला किस साल में शुरु हुआ ये भी अब तक साफ नहीं है। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को इस घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे है। अब तक हुए खुलासे में माना जा रहा था कि ये घोटाला 12,600 करोड़ रुपए का है। वहीं एक टीवी चैनल की माने को ये घोटाला इससे कई बड़ा है। ये 12,600 करोड़ का नहीं बल्कि 29 हजार करोड़ रुपए का है। यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकार ने घोटालेबाज नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को कर्ज दिया। बताया जा रहा है कि बैंक का कर्ज चुकाने के लिए दूसरा उससे बड़ा कर्ज दिया गया
मोदी राज में 9000 से 29000 करोड़ पहुंचा घोटाला
देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले (PNB) की परते एक-एक कर खुलते जा रही है। पहले जहां बैंक ने इसे 11,400 करोड़ का घोटाला बताया था तो वहीं कुछ दिनों बाद सामने आया कि ये 11,400 करोड़ का नहीं बल्कि 12,600 करोड़ रुपए का है। अब माना जा रहा है कि ये घोटाला 29,000 करोड़ रुपए का है। यूपीए और एनडीए सरकार एक दूसरे पर इस घोटाले को अंजाम देने के आरोप लगा रहे है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में ये घोटाला हुआ। जहां मनमोहन राज में ये घोटाला 9 हजार करोड़ रुपए का था तो वहीं ये मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2018 तक बढ़कर 29 हजार करोड़ का हो गया। पंजाब नेशनल बैंक के दस्तावेजों की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है।
ऐसे अंजाम दिया गया घोटाला
इस घोटाले को समझने के लिए 2011 में जाना होगा, जब देश में यूपीए की सरकार थी। पीएनबी जिन चार जांच एजेंसी CBI, ED, SFIO और IT के दस्तावेज सौंपे है उसके मुताबिक साल 2011 में 50 लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) जारी किए गए। इन LOU के जिरए 750 करोड़ रुपए की रकम नीरव और मेहुल की कंपनी को दी गई। इसके बाद 2012 में इसे चुकाने के लिए बैंक की मिलीभगत से 100 LOU जारी किए गए। इसकी रकम 2300 करोड़ रुपए की थी। 2013 में 250 LOU जारी कर 4000 करोड़ रुपए बैंक ने जारी किए। वहीं साल 2014 में 125 LOU के जरिए 2000 करोड़ का कर्ज दिया गया।
वहीं NDA की सरकार आने के बाद 2015 में 350 LOU के जरिए 4200 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया। इसके बाद साल 2016 में 500 LOU जरिए 7000 करोड़ का कर्ज और साल 2017 में 300 LOU के जरिए 9500 करोड़ रुपए दिए गए। बैंकिंग व्यवस्था में एलओयू यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग बैंक और कर्ज लेनेवाली कंपनी के बीच एक तरह का अनुबंध पत्र होता है जिसमें लोन लेने और लोन चुकाने की शर्तों का विवरण होता है। लेकिन दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में बैंक ने इसका पालन नहीं किया। कुछ बैंक अधिकारियों की मदद से इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया।
ED को जारी हुआ नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट में आज इस मामले को लेकर सुनावाई भी हुई। जिसमे हीरा कारोबारी नीरव मोदी की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है। केस को अधूरा (स्केची) बताते हुए मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि हम इस मामले में ईडी का भी पक्ष जानना चाहते हैं। ऐसा लग रहा है कि नीरव मोदी के वकील विजय अग्रवाल भी फिलहाल तथ्यों को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस केस में कितना पैसा शामिल है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि कौन सी अथॉरिटी के तहत ईडी संपत्ति प्रॉपर्टी की जांच करना चाहती है। दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी को नोटिस जारी कर दस्तावेज पेश करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 मार्च 2018 को दोपहर 2.15 बजे होगी।
Created On :   7 March 2018 7:20 PM IST