पाकिस्तान का यू-टर्न, करतारपुर जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट बिना एंट्री नहीं
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। करतारपुर जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट के बिना एंट्री नहीं दी जाएगी। इसे लेकर पाकिस्तान आर्मी के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर का बयान सामने आया है। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की थी कि भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा दरबार साहिब आने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी, वह कोई भी वैलिड आईडी प्रूफ दे सकते हैं।
भारत ने बुधवार को पाकिस्तान से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था कि क्या सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर के गुरुद्वारे में जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता होगी। इसके बाद आसिफ गफूर का यह बयान सामने आया है। गफूर ने हम न्यूज से कहा "क्योंकि हमारे पास सिक्यॉरिटी लिंक है, इसलिए पासपोर्ट-आधारित पहचान पर दिए गए परमिट पर ही एंट्री लीगल होगी। सुरक्षा या संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।"
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था, "भारत से करतारपुर आने वाले सिख श्रद्धालुओं के लिए मैंने दो शर्तें हटा दी हैं। इसके तहत अब उन्हें पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी, बल्कि सिर्फ एक वैध पहचान पत्र दिखाने की जरूरत होगी। उन्हें अब 10 दिन पहले से पंजीकरण भी नहीं कराना होगा। इसके अलावा उद्घाटन समारोह के लिए आने वाले और 12 नवंबर को सिख गुरु की 550वीं जयंती के मौके पर आने वाले श्रद्धालुओं से 20 डॉलर का सेवा शुल्क भी नहीं वसूला जाएगा।
बता दें कि गुरु नानक की 550वीं जयंती पर 9 नवंबर को पाकिस्तान भारत और अन्य देशों के सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलेगा। हर दिन भारत से 5,000 सिख तीर्थयात्री जाएंगे। यह कॉरिडोर करतारपुर में दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक श्राइन से जोड़ेगा।
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी पक्ष के साथ भारत की 14 मार्च को पहले दौर की वार्ता हुई थी। अधिकारियों के स्तर की वार्ता के साथ, दोनों पक्षों ने परियोजना के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक्सपर्ट लेवल की कई दौर की मीटिंग आयोजित की।
दोनों पक्षों ने अपनी बातचीत के दौरान, तीर्थयात्रियों की संख्या से लेकर कॉरिडोर कितने दिनों तक खुला रहेगा इसे लेकर चर्चा की गई। सिख तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए स्थापित की गई पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (PSGPC) के कंपोजिशन पर भी दोनों देशों के बीच लंबी चर्चा के बाद सहमति बन गई।
आखिरी पॉइंट 20 डॉलर सेवा शुल्क था जिसपर दोनों देशों के बीच सहमति बनने में लंबा समय लग गया। पाकिस्तान ने कॉरिडोर का उपयोग करने के लिए हर सिख तीर्थयात्री से ये चार्ज वसूलने का फैसला किया है। 20 डॉलर के सेवा शुल्क पर सहमति के बाद दोनों पक्षों ने करतारपुर कॉरिडोर के एग्रीमेंट पर 23 अक्टूबर को साइन किए थे।
Created On :   7 Nov 2019 4:01 PM IST