नेपाल: पीएम ओली के बयान पर विदेश मंत्रालय की सफाई, कहा- किसी की भावनाओं ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा- नेपाली पीएम माफी मांगे
- अयोध्या के संतों ने कहा- नेपाली पीएम मूर्ख
- राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता कमल थापा ने जताई थी आपत्ति
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री केपी ओली की अयोध्या और भगवान राम पर की गई टिप्पणी को लेकर स्पष्टीकरण दिया है। विदेश मंत्रालय ने पत्र जारी कर कहा है कि पीएम ओली का बयान किसी की भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं था। पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री ओली का बयान किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़ी हुई नहीं है और उनका किसी की भावनाओं को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। बयान अयोध्या और उसके सांस्कृतिक मूल्य को कम करने को लेकर नहीं दिया गया।
As there have been several myths and references about Shri Ram and places associated with him, PM was highlighting importance of further studies and research of vast cultural geography Ramayana represents to obtain facts...: Nepal Foreign Ministry https://t.co/C4x8cLGnDA
— ANI (@ANI) July 14, 2020
बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार को भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या पर विवादित बयान देकर भारत पर सांस्कृतिक अतिक्रमण का नया राग छेड़ा था। उन्होंने कहा था कि भारत में जो अयोध्या है, वह नकली है, जबकि असली अयोध्या तो नेपाल में है। पीएम ओली भगवान राम के नेपाली होने का भी दावा किया था। ओली ने तर्क दिया था कि अगर भारत की अयोध्या वास्तविक है तो वहां से राजकुमार शादी के लिए जनकपुर कैसे आ सकते हैं? पीएम ओली ने आरोप लगाया कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता कमल थापा ने जताई थी आपत्ति
ओली के इस दावे पर नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि किसी भी प्रधानमंत्री के लिए इस तरह का आधारहीन और अप्रमाणित बयान देना उचित नहीं है। ऐसा लगता है कि पीएम ओली भारत और नेपाल के रिश्ते और बिगाड़ना चाहते हैं, जबकि उन्हें तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए। बता दें कि इससे पहले पीएम ओली ने भारत पर नेपाली सीमा में अतिक्रमण का आरोप लगाया था।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा- नेपाली पीएम माफी मांगे
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अयोध्या को लेकर बयान पर आपत्ति जताई है। देश में साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि इस बेतुके बयान के लिए नेपाली प्रधानमंत्री ओली को माफी मांगना चाहिए। असली अयोध्या भारत में ही है। नेपाल इस समय चीन के हाथों खेल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि इस तरह भ्रामक बयान देने वाले नेपाली पीएम ओली को माफी मांगने के लिए कहें।
अयोध्या के संतों ने कहा- नेपाली पीएम मूर्ख
नेपाल के प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद अयोध्या में भी संतों के तेवर काफी तीखे हैं। श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने नेपाली पीएम ओली को मूर्ख कहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल का भारत के अयोध्या से त्रेता युग से संबंध रहा। शास्त्रों में अयोध्या प्रमाणित है। नेपाल के पीएम को ज्ञान ही नही है। नेपाल के पीएम के रूप में अज्ञानी बैठा है। यह तो शास्त्रों में प्रमाणित है कि उत्तर दिशा में बहने वाली पावन सरयू किनारे अयोध्या का वास है। अयोध्या से नेपाल बारात गई थी। सीता का विवाह शास्त्रों में वर्णित है। अज्ञानी पीएम ओली को जनकपुर व अयोध्या का कोई ज्ञान नहीं है। मां सीता व राम का प्राकृतिक संबंध है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी अब नेपाल के पीएम के इस बयान का व्यापक विरोध करने के साथ ही नेपाल से सारे संबंध खत्म करें। संत समाज में नेपाल के पीएम के इस बयान से काफी नाराजगी है।
भारत विरोधी टिप्पणियों को लेकर निशाने पर ओली
भारत विरोधी टिप्पणियों और कामकाज की शैली को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग की जा रही है। यही नहीं एनसीपी के ज्यादातर नेता कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में ओली सरकार नाकाम बता रहे हैं। एनसीपी में पिछले कुछ महीनों से उथल-पुथल चल रही है। लेकिन, ओली राष्ट्रवादी नारा देकर और नेपाल के राजनीतिक नक्शे में बदलाव करके असंतुष्ट खेमे का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने देश के राजनीतिक नक्शे में भारत के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को शामिल कर लिया।
केपी ओली के इस्तीफे की मांग तेज
नेपाल में दिन-ब-दिन ओली के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। संभावना जताई जा रही है कि बजट सत्र को स्थगित करने के बाद वो एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं।पाकिस्तान पीएम इमरान खान ने ओली से संपर्क साध चुके हैं। दूसरी तरफ नेपाल में मौजूद चीनी राजदूत भी इसकी कोशिशों में लगे हैं कि ओली को सत्ता में बनाए रखा जा सके। हाल में ओली द्वारा उठाए गए कुछ कदमों के पीछे चीनी राजदूत का रोल अहम बताया जाता है। अगर पार्टी टूटती है तो ओली को अपने समर्थन में 138 सांसद दिखाने होंगे, लेकिन अध्यादेश के बाद उन्हें सिर्फ 30 प्रतिशत सांसद का सपॉर्ट दिखाना होगा। ऐसे में अध्यादेश के जरिए ओली का रास्ता आसान हो जाएगा क्योंकि 40 प्रतिशत सांसद उनकी तरफ हैं।
Created On :   14 July 2020 7:01 PM IST