SPY: जर्मनी में पकड़ा गया भारतीय व्यक्ति, RAW के लिए सिख समुदाय और कश्मीरी एक्टिविस्टों की जासूसी का आरोप
![Germany charges man with spying for Indian intelligence Germany charges man with spying for Indian intelligence](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2020/05/germany-charges-man-with-spying-for-indian-intelligence1_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क, बर्लिन। जर्मन प्रॉसिक्यूटर्स ने एक भारतीय व्यक्ति को सिख समुदाय और कश्मीरी एक्टिविस्टों पर जासूसी करने के मामले में चार्ज किया है। इस युवक पर जर्मनी में दो साल से अधिक समय तक अपने देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। हालांकि अभी यह नहीं बताया गया है कि युवक कस्टडी में है या नहीं? प्रॉसिक्यूटर्स ने जर्मनी के गोपनियता नियमों के तहत भारतीय व्यक्ति को चार्ज किया है।
क्या कहा फेडरल प्रॉसिक्यूटर ऑफिस ने?
फेडरल प्रॉसिक्यूटर ऑफिस ने बुधवार को कहा कि भारतीय युवक की पहचान बलवीर एस के रूप में की गई है। जर्मन प्राइवेसी रूल्स के तहत फ्रैंकफर्ट की एक स्टेट कोर्ट में बलवीर के खिलाफ जासूसी के चार्ज लगाए गए हैं। बलबीर पर सिख और कश्मीर मूवमेंट के बारे में RAW को जानकारी देने के लिए सहमत होने का आरोप है। प्रॉसिक्यूटरों के अनुसार, बलबीर जर्मनी के खुफिया अधिकारी के साथ नियमित टेलीफोन और व्यक्तिगत संपर्क में थे। दिसंबर 2017 तक बलवीर ने कई जानकारियां पास की।
रॉ के लिए काम कर रहें एक शख्स को 9 महीने की जेल
इससे पहले भी 51 वर्षीय मनमोहन सिंह को जर्मनी में रॉ के लिए 2014 में जासूसी करने का दोषी पाया गया था। उन्हें 9 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी सिख समुदाय और कश्मीरी अलगाववादियों की जानकारी रॉ को दे रहे थे। जर्मन प्रॉसिक्यूटर ने कहा था कि इस सिख कपल को जानकारियां पास करने के लिए 7,200 यूरो मिले। मनमोहन सिंह जर्मनी में एक सिख चैनल के लिए जर्नलिस्ट के तौर पर का करते थे। सजा के ऐलान के बाद मनमोहन सिंह की पंजाब के कुछ नेताओं के साथ तस्वीरें वायरल हुई थी।
क्या है रॉ का काम?
रॉ का पूरा नाम रिसर्च एंड एनालिसिस विंग है और ये भारत की खुफिया एजेंसी है। 21 सितम्बर 1968 को इसकी स्थापना हुई थी। रॉ के अस्तित्व में आने से पहले, ‘इंटेलिजेंसी ब्यूरो’ भारत के आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय मामलों को संभाला करता था लेकिन भारत-चीन युद्ध और भारत-पाक युद्ध के दौरान ये ब्यूरो अपना काम बेहतर तरीके से नहीं कर सका। उसके बाद एक ऐसी एजेंसी की जरुरत महसूस हुई जो देश की सुरक्षा से जुड़े हर मसले पर पैनी नज़र रख सके और तब रॉ की स्थापना भारत की खुफिया एजेंसी के तौर पर की गई।
Created On :   13 May 2020 3:33 PM IST