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नागपुर विश्वविद्यालय में यूजीसी के आदेश का उल्लंघन, पोर्टल पर लिंक नहीं
डिजिटल डेस्क,नागपुर। शिक्षा संस्थानों में जातिभेद को रोकने और शिकायत करने के लिए स्वतंत्र यंत्रणा तैयार करने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने दरकिनार कर दिया है। बीते जुलाई में यूजीसी का आदेश आने के बावजूद यूनिवर्सिटी ने अब तक जातिवादी शिकायतों के लिए अपने पोर्टल पर स्वतंत्र लिंक उपलब्ध नहीं कराई है। मुंबई में मेडिकल की छात्रा पायल तडवी की आत्महत्या के बाद शिक्षा संस्थानों में होने वाली रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी ने यह कदम उठाया था। अपने हालिया नोटिफिकेशन में यूजीसी ने साफ किया था कि विद्यार्थी कॉलेज में अपने सहपाठियों की जाति, धर्म, रंग, लिंग, अपीयरेंस, राज्य या आर्थिक स्थिति पर तंज कसते हैं, तो उन पर एंटी रैगिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। दोषी विद्यार्थियों को रिस्टिकेट, सस्पेंड, एडमिशन कैंसल, फाइन, किसी भी कॉम्पटीशन या यूथ फेस्टिवल में हिस्सा न लेने से रोकने के एक्शन लिए जा सकते हैं।
यह अपराध है
इसी बीच रैगिंग की रोकथाम के लिए यूजीसी ने ये कदम उठाया है। शिक्षा संस्थानों को अपने यहां इन नियमों को सख्ती से लागू करके दोषी विद्यार्थियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। विश्वविद्यालय और कॉलेज का एंटी रैगिंग सेल इसकी जिम्मेदारी उठाएगा। यूजीसी की ओर से संशोधित कानून के तहत किसी भी स्टूडेंट को उसके रंग, वंश, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, लैंगिक रुझान, रूप-रंग, राष्ट्रीयता, राज्य, भाषा, जन्म के स्थान, रहने की जगह या फिर इकोनॉमिक बैकग्राउंड के आधार पर किसी भी तरह का शारीरिक और मानसिक शोषण (डराना/बहिष्कार) करने पर सजा का प्रावधान रखा गया है।
वेबसाइट पर शिकायत की सुविधा देनी होगी
यूजीसी के नियमों के अनुसार कॉलेजाें को अपनी वेबसाइट पर जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव की शिकायत दर्ज करवाने के लिए लिंक तैयार करनी होगी। कॉलेज के प्रिंसिपल ऑफिस में रजिस्टर भी रखना होगा। कॉलेज के एससी, एसटी और ओबीसी स्टूडेंट्स, टीचर्स या नॉन टीचिंग स्टाफ द्वारा भी शिकायत करने पर तुरंत उसका हल निकालना होगा। यूजीसी ने साफ किया है कि फैकल्टी भी किसी भी कैटेगिरी के स्टूडेंट्स के साथ भेदभाव न करें। अगर शिक्षण संस्थानों को किसी भी तरह की शिकायत मिलती है, तो उस पर 30 दिनों के अंदर एक्शन लेना होगा। इसकी रिपोर्ट 30 दिनों के अंदर यूजीसी को भेजनी होगी। रैगिंग या जातीय भेदभाव का शिकार होने वाले स्टूडेंट्स राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित एंटी रैगिंग हेल्पलाइन व टोल फ्री नंबर 1800-180-5522 पर संपर्क कर शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा helpline@antiragging.in पर ई-मेल या www.antiragging.in वेबसाइट पर विजिट कर कम्प्लेन भी कर सकते हैं
परीक्षार्थियों को बिना ब्रेक लिए देने होंगे दोनों पेपर
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने यूजीसी नेट परीक्षा की घोषणा कर दी है। एनटीए 2 से 6 दिसंबर के बीच नेट आयोजित करेगा। यूजीसी नेट की परीक्षा पैटर्न व सिलेबस में इस बार बदलाव किया गया है। परीक्षार्थियों को बगैर ब्रेक के ही दोनों पेपर देने होंगे। अब तक दोनों पेपर के बीच आधा घंटा का गैप मिलता था। इस बार दोनों पेपर एक साथ ही स्क्रीन पर दिखेंगे। पहले सेशन में पेपर 1 (जनरल अवेयरनेस) की परीक्षा होगी। 50 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को एक घंटे में हल करना होगा। प्रत्येक सही प्रश्न पर दो-दो अंक निर्धारित हैं। वहीं, दूसरे सेशन में संबंधित विषय से जुड़े 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे। दो घंटे में सभी प्रश्नों के जवाब देने होंगे। इस पेपर में भी सही प्रश्नों के जवाब के लिए दो-दो अंक निर्धारित हैं।
रिपोर्टिंग टाइम के बाद प्रवेश नहीं
जूनियर रिसर्च फेलोशिप और सहायक प्रोफेसर के लिए जरूरी जेआरएफ परीक्षा 81 विषयों में ऑनलाइन मोड में ली जाएगी। पहला सत्र सुबह 9:30 से दोपहर 12:30 बजे तक और दूसरा सत्र दोपहर 2:30 से शाम 5:30 बजे तक होगा। विद्यार्थियों को हॉल टिकट में उल्लेखित वक्त में ही परीक्षा केंद्र पर रिपोर्ट करना होगा। रिपोर्टिंग टाइम के बाद अभ्यार्थियों को केंद्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परीक्षा समाप्त होने तक उन्हें केंद्र के बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। देश भर से 10 लाख 34 हजार 872 विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया है। इससे पूर्व जून 2019 में आयोजित परीक्षा में 6 लाख, 81 हजार 718 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे।
इनमें सहायक प्रोफेसर के लिए 50 हजार 945 तथा जेआरएफ के लिए 4 हजार 756 अभ्यर्थी क्वालीफाई हुए थे। एनटीए के अनुसार संबंधित विषय में टॉप 6 फीसदी अभ्यर्थी ही सहायक प्रोफेसर के लिए क्वालीफाई घोषित किए जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि टॉप 6 फीसदी में शामिल होने के लिए 90 परसेंटाइल तक स्कोर करना होगा।
Created On :   25 Nov 2019 11:02 AM IST