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Nagpur News: यूनिवर्सिटी प्रभारी के भरोसे, छह माह से नहीं हैं पूर्णकालिक कुलगुरु

- फाइलें पेंडिंग, कई कार्यक्रम, प्राध्यापकों की नियुक्ति, प्रमोशन रुके
- निवेदन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई
Nagpur News राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का कुलगुरु पद पिछले 6 माह से प्रभारी के भरोसे चल रहा है। प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे ने लगभग दस माह पदभार संभालने के बाद अब कुलगुरु पद का अतिरिक्त प्रभार अपर विभागीय आयुक्त डॉ. माधवी खोड़े-चवरे को सौंपा है। इसे एक माह हो रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि, विश्वविद्यालय का संचालन और कितने समय तक केवल अधिकारियों के भरोसे चलेगा। दिवंगत कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी के निधन के बाद गोंडवाना विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. बोकारे को नागपुर विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलगुरु नियुक्त किया गया था। विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार, किसी कुलगुरु को एक वर्ष के लिए दूसरे विश्वविद्यालय का प्रभार दिया जा सकता है, लेकिन डॉ. बोकारे का कार्यकाल समाप्त होने में कुछ महीने शेष थे, लेकिन अचानक उनको कुलगुरु पद से हटा दिया गया। इसके बाद 13 मार्च को डॉ. माधवी खोडे-चवरे ने कुलगुरु पद का कार्यभार संभाला।
राज्यपाल काे निवेदन, पर कार्रवाई नहीं | नागपुर विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक कुलगुरु की नियुक्ति करने की मांग करते हुए सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी ने राज्यपाल को निवेदन प्रस्तुत किया था। एड. बाजपेयी ने कहा कि, राज्यपाल द्वारा नागपुर के अपर विभागीय आयुक्त को कुलगुरु का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। हालांकि, अपर विभागीय आयुक्त के पास संपूर्ण विभाग के अन्य कई प्रशासनिक कार्यों और जिम्मेदारियों का भार होता है। विभागीय आयुक्त का कार्यक्षेत्र अत्यंत व्यापक होता है, जिसके कारण वे अत्यधिक व्यस्त रहते हैं। ऐसे में यह उनके लिए व्यावहारिक रूप से कठिन होगा कि, वे विश्वविद्यालय के कार्यों पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकें, इसलिए विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक कुलगुरु की नियुक्ति की जाए, लेकिन इस निवेदन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
चयन समिति में सदस्य ही नहीं | कुलगुरु की नियुक्ति के लिए पहले समिति गठित की जाती है। इसके बाद समिति द्वारा कुलगुरु के तौर पर नियुक्ति के लिए पांच से कम योग्य व्यक्तियों की राज्यपाल को सिफारिश भेजी जाती है। इस समिति में राज्यपाल (कुलाधिपति) द्वारा नामित एक सदस्य होता है। यह सदस्य राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षा विशेषज्ञ होता है। दूसरे सदस्य के रूप में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव या सरकार द्वारा नामित सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं। तीसरे सदस्य के रूप में विश्वविद्यालय की प्रबंध परिषद और शैक्षणिक परिषद द्वारा नामित व्यक्ति होता है। इन तीनों सदस्यों की नियुक्ति को लेकर अभी तक कोई भी प्रक्रिया या गतिविधि दिखाई नहीं दे रही है।
यूजीसी नियमावली के कारण देरी का अनुमान | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कुलगुरु चयन के लिए केंद्र सरकार को एक नई नियमावली प्रस्तुत की है। इसमें प्राध्यापक चयन और पदोन्नति के साथ-साथ कुलगुरु चयन की भी स्पष्ट रूपरेखा है। इसी वजह से कुलगुरु चयन समिति की प्रक्रिया में देरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
नए सत्र में कुलगुरु की नियुक्ति की जाए : सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी ने कहा कि, नागपुर विवि में पूर्णकालिक कुलगुरु नहीं होने से कई फाइल पेंडिंग हैं, कई कार्यक्रम, प्राध्यापकों की नियुक्ति, उनके प्रमोशन रुके हैं, छात्रों के हितों में सीनेट बैठक में पारित निर्णयों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस तरह से शैक्षणिक सत्र का नुकसान हो रहा है, इसलिए आने वाले नए सत्र में पूर्णकालिक कुलगुरु की नियुक्ति की जाए।
Created On :   12 April 2025 3:52 PM IST