Nagpur News: परामर्श से 42 लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को मिला नया जीवन

परामर्श से 42 लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को मिला नया जीवन
  • सालभर में 8,528 तनावग्रस्तों ने किया कॉल
  • 15 फीसदी लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे

Nagpur News चंद्रकांत चावरे .ऐसे हजारों युवा मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं, जिससे आत्महत्या का प्रमाण बढ़ रहा है। प्रवेश, शिक्षा, रोजगार और अन्य कारणों से तनावग्रस्त युवा घातक कदम उठाने का फैसला करते हैं, लेकिन जब वे एक बार ‘टेली-मानस’ के टोल फ्री नंबर पर कॉल करते हैं, तो उन्हें नई ऊर्जा मिलती है। निराशा, तनाव खत्म होकर सकारात्मकता की ओर कदम उठने लगते हैं। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय ने सालभर में आत्महत्या का निर्णय ले चुके ऐसे 42 लोगों नया जीवन दिया है, इनमें 25 फीसदी यानि 10 से अधिक युवाओं का समावेश है।

क्यों शुरू की गई | स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत 2022 में ‘टेली-मानस’ की शुरूआत की। इसकी शुरूआत के पहले यह जानकारी सामने आयी थी कि, आबादी के 15 फीसदी लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 70 फीसदी से अधिक उपचार के बिना रहते हैं। विविध कारणों से मानसिक विकार की पीड़ा झेलने वाले एक लाख लोग सालाना आत्महत्या कर लेते हैं। इन्हें बचाने के लिए 24 बाय 7 ‘टेली-मानस’ सेवा शुरू की गई।

3 शिफ्ट में 20 काउंसलर दे रहे सेवा | देशभर में एक टोल-फ्री 24 बाय 7 हेल्पलाइन नंबर 14416 शुरू किया गया। नागपुर प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में कॉल आने से पहले वह मुंबई के टेली-मानस सेल में जाता है। इसके बाद नागपुर के मनोचिकित्सालय से जुड़ता है। यहां 3 शिफ्ट में 20 काउंसिलर सेवा देते हैं। एक प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर, एक मानसोपचार विशेषज्ञ तैयार रहते हैं। कॉल आने पर तत्काल संबंधितों को उनकी समस्या का समाधान बताया जाता है।

सालभर में 15,413 कॉल, प्रैंक कॉल 646 | राज्य के ठाणे, पुणे, अंबेजोगाई व प्रादेशिक मनोचिकित्सालय, नागपुर में ‘टेली-मानस’ सेवा 1 अप्रैल 2024 से शुरू हुई। 31 मार्च 2025 तक 15,413 लोगों ने कॉल किया। इनमें मानसिक तनावग्रस्तों की संख्या सर्वाधिक 8,528 थी। केवल जानकारी लेने वालों की संख्या 2,081, गलती से कॉल लगाने वालों की संख्या 4,125, प्रैंक कॉल करने वालाें की संख्या 646 थी। सबसे बड़ी बात यह है कि, 42 ऐसे कॉल आए, जो आत्महत्या का निर्णय ले चुके थे। इसके बाद आखिरी बार उनकी इच्छा हुई कि, ‘टेली-मानस’ से अपनी व्यथा साझा की जाए। जब समस्याएं साझा कीं, तो उनकी जान बच गई। सकारात्मकता की ऊर्जा मिली। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय की संबंधित टीम नियमित उनके संपर्क में रहकर जानकारी लेती है। समस्याग्रस्तों में विद्यार्थी समेत सभी आयु वर्ग के लोग शामिल रहते हैं। ग्रामीण के मुकाबले शहर में अधिक तनाव व निराशाग्रस्त होते हैं। ग्रामीण में 30 फीसदी व शहर में 70 फीसदी लोग शामिल रहते हैं।

इन व्यथाओं को करते हैं साझा | ‘टेली-मानस’ पर आने वाले कॉल पर लोग विविध समस्याएं साझा करते हैं। शिक्षा, स्पर्धा, परीक्षा, रोजगार, पारिवारिक विवाद व बिखराव के चलते आने वाला तनाव व निराशा का सर्वाधिक समावेश होता है। इसके अलावा नींद न आना, आर्थिक नुकसान होना, रिश्तों में टकराव, नकारात्मक भाव, मादक पदार्थों का अति सेवन, कार्यस्थल पर काम का दबाव, किसी के द्वारा धमकाना, आर्थिक नुकसान होना, ब्लैकमेलिंग का शिकार होना आदि कारणों से व्यक्ति मानसिक विकार का शिकार होता है।

समस्या समाधान करने का हरसंभव प्रयास : ‘टेली-मानस’ के माध्यम से आने वाले कॉल को गंभीरता से सुना जाता है। कॉल करने वालों के साथ बातचीत कर उसकी समस्या मालूम की जाती है। उसका समुपदेशन कर समस्या समाधान का रास्ता बताया जाता है। ‘टेली-मानस’ के प्रति ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जागरूकता की जा रही है। मनोचिकित्सालय की ओपीडी में आने वाले मरीजों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में भी काउंसिलर के माध्यम से जागरूकता की जा रही है। आमजनों को इस सेवा का लाभ मिल रहा है। -डॉ. सतीश हुमणे, चिकित्सा अधीक्षक, प्रादेशिक मनोचिकित्सालय, नागपुर

‘टेली-मानस’ सेवा बनी नया सहारा : हैलो सर, मेरी परीक्षा शुरू होने वाली है। मैं काफी तनाव की स्थिति में हूं। मुझे परीक्षा का डर लग रहा है। सोचता हूं... परीक्षा ही ना दूं। कॉलेज छोड़ दूं। घर छोड़कर चला जाऊं। जिऊं या मरूं? दिमाग काम नहीं कर रहा है। मैं क्या करुं सर...?

सर मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है, लेकिन कहीं नौकरी नहीं लगी। घरवाले रोज ताने मारते हैं। समझ में नहीं आ रहा क्या करूं। कई इंटरव्यू दिए, लेेकिन हर जगह जुगाड़ का खेल चल रहा है। अब तो जीने की इच्छा ही मर चुकी है। मैं क्या करूं?


Created On :   12 April 2025 4:28 PM IST

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