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Nagpur News: आप ओवरथिंकिंग तो नहीं करते, जानिए - क्या है लक्षण और कैसे पाएं निजात

- सावधान...हो सकते हैं स्ट्रेस, डिप्रेशन, अनिद्रा का शिकार
- ओवरथिंकिंग सेहत के लिए ठीक नहीं
Nagpur News. तेज रफ्तार, स्ट्रेस और कॉम्पिटिशन से भरी इस दुनिया में मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से एक सबसे आम लेकिन अनदेखी जाने वाली समस्या है ओवरथिंकिंग। यह समस्या आज सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे, किशोर, वयस्क और बुज़ुर्ग सभी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों की राय के अनुसार, मानसिक बीमारियों की जड़ में कहीं न कहीं ओवरथिंकिंग एक अहम कारण बन रही है। इसे समय पर नहीं रोका गया, तो यह समस्या स्ट्रेस, डिप्रेशन, अनिद्रा और कॉन्फिडेंस की कमी जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है।
क्या है ओवरथिंकिंग
ओवरथिंकिंग यानी किसी बात, घटना या भविष्य की कल्पना को लेकर बार-बार, गहराई से और जरूरत से ज्यादा सोचना। इसका कोई एक चेहरा नहीं होता। यह हर उम्र, हर वर्ग में अलग-अलग तरीके से सामने आता है। बच्चों में यह परीक्षा परिणाम, दोस्तों से तुलना या माता-पिता की अपेक्षाओं को लेकर हो सकता है। किशोरों में रिश्ते, शरीर की छवि, सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया आदि इसके कारण बनते हैं। युवाओं में करियर, भविष्य की अस्थिरता, फेलियर और लाइफ चॉइस को लेकर लगातार चिंता बढ़ती है। वयस्क जीवन में आर्थिक जिम्मेदारियां, परिवार का दबाव और खुद की पहचान को लेकर ओवरथिंक करते हैं। बुज़ुर्गों में अकेलापन, स्वास्थ्य समस्याएं और जीवन के प्रति असुरक्षा इसे जन्म देती है।
क्यों होती है समस्या
ओवरथिंकिंग के कई गहरे और व्यक्तिगत कारण होते हैं, जो व्यक्ति की सोचने की आदत और उसके सामाजिक, पारिवारिक और डिजिटल माहौल पर निर्भर करते हैं। इनमें परफेक्शनिज्म, असफलता का डर, सोशल मीडिया तुलना, आत्मविश्वास की कमी, फुर्सत और अकेलापन, बीते हुए कल या भविष्य की चिंता के कारण लोग इस समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं।
सावधान...हो सकते हैं स्ट्रेस, डिप्रेशन, अनिद्रा का शिकार
कैसे निजात पाएं
सोच को डायरी या मोबाइल नोट्स में लिखें। इससे वो विचार बाहर आ जाएंगे और आपके मन को हल्का करेंगे। अगर किसी चीज को लेकर बार-बार सोच रहे हैं, तो पहला छोटा सा कदम उठाएं। एक्शन लेने से कॉन्फिडेंस आता है और सोचने का सिलसिला टूटता है। माइंड फुलनेस और मेडिटेशन, रोज़ 10-15 मिनट करने से मस्तिष्क शांत होता है। अपने विचारों को पहचानें, उन्हें जज न करें। सोशल मीडिया का प्रयोग सीमित करना चाहिए। दिनभर की कंपरिसन में डूबे रहना मानसिक रूप से थकाता है, इसलिए सोशल मीडिया से ब्रेक लें और खुद से जुड़ें। व्यायाम या योग को दिनचर्या में शामिल करें, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। रोजाना एक्सरसाइज या योग से मूड अच्छा रहता है। समय का उपयोग सकारात्मक रूप में करें, नई चीजें सीखें, किताबें पढ़ें, संगीत सुनें, दोस्तों से बातें करें, मन को उलझे विचारों से बाहर लाना ज़रूरी है।
लक्षण
बार-बार एक ही बात सोचना और उस पर निर्णय न ले पाना
नींद न आना या बेचैनी रहना
हर चीज में नेगेटिविटी देखना
बार-बार ‘क्या होता अगर...’ जैसे विचारों में उलझना
छोटी बातों को लेकर बड़ा मानसिक तनाव महसूस करना
यह बीमारी नहीं है
विशेषज्ञों का कहना है कि ओवरथिंकिंग कोई बीमारी नहीं है, बल्कि सिम्पटम्प है, जो हमारी सोच, ऊर्जा और आत्मबल को धीरे-धीरे निगलता है। इससे छुटकारा पाने के लिए हमें अपनी सोच पर ध्यान देना होगा और ज़रूरत पड़े तो साइकैट्रिस्ट की मदद लेने से न हिचकिचाएं। मेजर सिचुएशन में ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है। आपकी ज़िंदगी आपके विचारों से कहीं बड़ी और खूबसूरत है, उसे सोच के बोझ से आज़ाद कीजिए।
Created On :   13 April 2025 7:57 PM IST