ताड़ोबा में नाले के पास मृत मिली बाघिन मीरा, जंगली भैंसे से हुई थी घायल

Tigress meera died in tadoba reserve forest chandrapur maharashtra
ताड़ोबा में नाले के पास मृत मिली बाघिन मीरा, जंगली भैंसे से हुई थी घायल
ताड़ोबा में नाले के पास मृत मिली बाघिन मीरा, जंगली भैंसे से हुई थी घायल

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प की माया बाघिन की शावक मीरा  का शव मिलने से खलबली मची है।  ताड़ोबा नियत क्षेत्र में पंचधारा के पास दो वर्ष की मीरा बाघिन का शव मिला। जानकारी के मिलते ही वनविभाग के अधिकारियों की टीम ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया। दोपहर में हुए पोस्टमार्टम के रिपोर्ट अनुसार इस बाघिन के शरीर पर गहरी चोटे लगी थी। इस कारण काफी खून बहा, जिससे बाघिन की मौत हो गई। बाघिन के पीठ पर सिंग से काफी गंभीर चोट पायी गयी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत दिनों माया बाघिन और उसे दो शावक जंगली भैसे का शिकार कर रहे थे। ऐसे में मीरा बाघिन यह शिकार के पूर्ण गुर नहीं सीखी थी। दौरान जंगली भैंसे जैसे बड़े वन्यजीव का शिकार करते समय भैंसे का सिंग लगने उसे गंभीर चोट आयी थी। 2 अक्टूबर को गश्त दरम्यान वन अधिकारी व कर्मचारियों को मीरा बाघिन घायल अवस्था में दिखी थी। कुछ दिन पूर्व जंगली भैसे का शिकार के दौरान शावक मीरा बाघिन के पीठ, गर्दन पर गंभीर चोट लगने की संभावना है।  लेकिन उस समय ताड़ोबा प्रबंधक ने उपचार संबंध में कोई ठोस उपाय योजना नहीं कर पाया। इधर, प्रबंधक ने दावा किया कि, राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण के मार्गदर्शक सूचना अनुसार नैसर्गिक संघर्ष में घायल वन्यजीव को पकड़कर औषधोपचार करना अपेक्षित नहीं है तब से गश्त पथक द्वारा इस बाघिन पर ध्यान रखा जा रहा था। इस बीच 4 अक्टूबर को यह बाघिन गश्त पथक के नजरों से गायब हो गई थी। उसके बाद दो पथक द्वारा शोध मुहिम शुरू की गई। बावजूद मीरा बाघिन का पता नहीं चला।

गश्त पथक को उसका शव नाले किनारे दिखा। उस स्थान पर आसानी से पहुंच पाना असंभव था। कठिन परिस्थिति में वहां पहुंचकर मौका पंचनामा किया गया। दोपहर के समय शव विच्छेदन किया गया। इस अवसर पर ताड़ोबा के क्षेत्र संचालक एन.आर.प्रवीण, सहायक वनसंरक्षक महेश खोरे, वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस.के. शेंडे, मानद वन्यजीव रक्षक अमोल बैस, मुख्य वन्यजीव संरक्षण मुकेश भांदककर, राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधि बंडू धोत्रे, पशुवैद्यकीय अधिकारी डा.पुरुषोत्तम कडूकर, ताड़ोबा के पशुवैद्यकीय अधिकारी डा.खोब्रागडे, डा.कुंदन पोडचेलवार आदि उपस्थित थे।  

मटकासुर और माया बाघिन की थी शावक

ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में माया और मटकासुर बाघ-बाघिन का जोड़ा प्रसिद्ध है। मीरा मादा व सूर्या नर शावक का जोड़ा जन्म से ही प्रसिद्ध है। सूत्रों के अनुसार इनके नाम पर्यटकों ने ही रखे थे। माया अपने शावकों को शिकार के गुर सिखाने के प्रयास में थी, परंतु पूर्ण गुर नहीं सीख पाने के चलते मीरा के साथ यह दुर्घटना हुई, जिसमेें उसकी मृत्यु हुई।  घटना पर वन्यजीव प्रेमी अफसोस जता रहे हैं।  

Created On :   9 Oct 2019 12:14 PM IST

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