मिशन विधानपरिषद, विदर्भ से 7 सदस्यों का कार्यकाल जल्द पूरा होगा

The tenure of seven members from Mission Legislative Council Vidarbha will be completed soon
मिशन विधानपरिषद, विदर्भ से 7 सदस्यों का कार्यकाल जल्द पूरा होगा
मिशन विधानपरिषद, विदर्भ से 7 सदस्यों का कार्यकाल जल्द पूरा होगा

डिजिटल डेस्क,नागपुर। राज्य में विधानपरिषद की कुछ सीटों के लिए जल्द ही चुनाव कार्यक्रम घोषित होगा। विदर्भ में 7 सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इन सदस्यों में राज्यपाल ने नियुक्त किए दो सदस्य भी शामिल हैं। फिलहाल राज्य में कोई अन्य चुनाव नहीं है। विधानपरिषद चुनाव का स्वरुप आम चुनाव से थोड़ा अलग है। इनमें चुने हुए जनप्रतिनिधि या स्नातक, शिक्षक ही मतदान करते हैं। मतदाता पंजीयन की प्रक्रिया भी अलग है। लिहाजा सभी दल इन चुनावों के लिए अपने अपने स्तर पर तैयारी में जुटने लगे हैं। खास बात है कि राज्यपाल ने नियुक्त किए विधानपरिषद सदस्यों में राकांपा के प्रकाश गजभिये व कांग्रेस के जोगेंद्र कवाडे शामिल है। फिलहाल दोनों दल राज्य की सत्ता में शामिल है। ऐसे में इन दो सदस्यों की विधानपरिषद में वापसी के प्रश्न पर सभी की उत्सुकता बनी रहेगी। विधानपरिषद उम्मीदवार के दावेदारों में भाजपा में नागपुर से ही कुछ नाम सामने आने लगे हैं।

जुलाई तक कार्यकाल
विदर्भ से 7 विधानपरिषद सदस्यों का कार्यकाल जुलाई 2020 में पूरा होगा। इन सदस्यों में शिक्षण, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, विधानसभा सदस्यों से चुने हुए सदस्यों के अलावा राज्यपाल से नियुक्त सदस्य शामिल हैं। इन सदस्यों में भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व िशवेसना के सदस्य हैं। लगभग सभी सदस्य प्रयास में हैं कि उन्हें फिर से विधानपरिषद में जाने का मौका मिले। लेकिन उम्मीदवार तय होने को लेकर काफी चुनौतियां है। महाविकास आघाडी के तीनों दल सहमति से उम्मीदवार तय करें तो संबंधित दल अपने पसंद के उम्मीदवार को फिर से मौका नहीं दे पायेंगे। राज्यपाल जिन सदस्यों को नियुक्त करते हैं उनके लिए संबंधित दल की अनुशंसा आवश्यक रहती है।

गजभिये, कवाड़े की राह कितनी आसान
जिला स्तर पर देखें तो स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के प्रा.अनिल सोले का उम्मीदवार बनना तय है। उनके समर्थन में मतदाता पंजीयन से लेकर चुनाव कार्य शुरु है। लेकिन नियुक्त सदस्य प्रकाश गजभिये व प्रा.जोगेंद्र कवाड़े को लेकर स्थिति साफ नहीं है। गजभिये पहले रामदास आठवले के समर्थक थे। उनकी पार्टी के नगरसेवक भी रहे हैं। राकांपा में प्रदेश स्तर के नेताओं के साथ बेहतर समर्थक बनाकर उन्होंने विधानपरिषद की राह में सफलता पायी थी। राकांपा में आंबेडकरवादी चेहरा के तौर पर उन्होंने पहचान बनाने का भी प्रयास किया। लेकिन राकांपा में ही देखें तो और भी जनप्रतिनिधि हैं जिनका सत्ता समन्वय करना पार्टी के नेताओं के लिए अहम प्रश्न है। कवाड़े कांग्रेस में नहीं है। इससे पहले वे भी राकांपा के सहयोग से विधानपरिषद सदस्य चुने गए थे। बाद में उन्होंने सदस्यता से इस्तीफा दिया था। उनके पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी का जनाधार कम हाेता जा रहा है। ऐसे में देखना होगा कि कवाडे को कांग्रेस कितना सहयोग करती है।

ओबीसी राजनीति का असर
यह भी संकेत मिल रहा है कि राज्य में ओबीसी गणना को लेकर शुरु हुई राजनीति का असर भी इन चुनावों पर पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव में पराजित हुए सभी दलों के प्रमुख नेता विधानपरिषद के इस चुनाव में अपनी दावेदारी बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि विधानमंडल के बजट अधिवेशन के बाद इस चुनाव को लेकर कुछ स्थिति साफ हाे सकती है।
 
इनका कार्यकाल पूरा हो रहा है
सदस्य-क्षेत्र- कार्यकाल
अनिल सोले-स्नातक नागपुर- जुलाई 2020
श्रीकांत देशपांडे- शिक्षक अमरावती- जुलाई 2020
हरिसिंह राठोड- विस सदस्यों से निर्वाचित- अप्रैल 2020
अरुण अडसड- विस सदस्यों से निर्वाचित- अप्रैल 2020
प्रकाश गजभिये-राज्यपाल नियुक्त- जून 2020
जोगेंद्र कवाडे- राज्यपाल नियुक्त- जून 2020
ख्वाजा बेग- राज्यपाल नियुक्त-जून 2020

Created On :   4 March 2020 3:48 PM IST

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