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दिनचर्या तय करें, नकारात्मता से दूर रहने की सलाह
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना के कारण शहर में लॉक डाउन के कारण अधिकतर लोग घर में हैं। वयस्त दिनचर्या गुजारने वालों के लिए घर में खाली रहना कई तरह की परेशानियों का सबब बन रहा है। लंबे समय तक कामकाज से दूर खाली रहने के दौरान सबसे जरूरी है कि नकारात्मकता से बचा जाए। सकाइट्रस्ट्रिस्ट सोसाइटी ऑफ नागपुर के सचिव डॉ सागर छिद्दरवार के अनुसार लोगों को अचानक काफी खाली समय मिल गया है। उन्हें पता नहीं है कि इसका कैसे इस्तेमाल किया जाए। ऐसे समय में काफी देर तक नकारात्मक बातें सोचने से मानसिक परेशानी बढ़ सकती है। लोगों को अपनी दिनचर्या बनानी चाहिए। तय दिनचर्या का पालन करने से नकारात्मक चिंता से बचने में मदद मिलेगी।
ज्यादा सतर्क हो रहे हैं लाेग
कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण लोग घर पर हैं। उनके पास खाली समय है । वायरस और बीमारी की खबरों के बीच लोग अपनी और अपने शरीर पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। अपने देश में लॉकडाउन हुए अभी ज्याद दिन नहीं हुए है। लोगों का व्यवहार भी पहले चरण में है। इसमें लोग पर चीज के डिटेल पर ध्यान दे रहे हैं। साफ-सफाई पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
बीमारी की आशंका
कोरोना के कारण सेहत की छोटी सी समस्या भी लोगों को बड़ी बात लग रही है। किसी को कोई परेशानी नहीं है फिर भी उन्हें लगता है कि वे बीमार है। लोग बारबार टेम्प्रेचर चेक कर रहे हैं। परिवार वालों की सेहत पर भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। एकसाथ व्यग्रता, निराशा, अवसाद और खालीपन के कारण मानसिक परेशानी बढ़ सकती है।
सामान्य जीवन न जी पाने की छटपटाहट
लोगों में घबराहट हैं, जो शारीरिक रूप से कोरोना की चपेट में नहीं हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। कोरोना नया वायरस है। इसके बारे में काफी कम जानकारी है। अनिश्चित समय का अलगाव, वित्तीय संकट की आशंका और सामान्य जीवन न जी पाने की छटपटाहट, लोगों को मानसिक संत्रास की ओर धकेल सकता है।
वयस्त व सकारात्मक रहने के लिए ये करे
-पूरे दिन के लिए दिनचर्या तय करें। सुबह उठकर घर में किए जा सकने वाले व्यायाम करें, योग और ध्यान को भी सहारा लिया जा सकता है।
-नया जानने की कोशिश करें। इससे मन पूरी तरह से उनसे लग जाएगा और समय गुजारने की समस्या से राहत मिलेगी। कई चीजें होगीं जो वयस्त रहने के कारण नहीं कर पाएं होंगे। उन्हें शुरू करेंद्ध
-किताबें, संगीत, ऐसे समय सबसे अच्छे साथी साबित हो सकते हैं। इसी तरह बागवानी व दूसरे शौक भी अपनाए जा सकते हैं।
-परिवार वालों के साथ समय बिताएं। घरेलु कामकाज में सहयोग करें।
मनोदशा पर महामारियों और आपदाओं का अस
आपदाओं और महामारियों का असर व्यक्ति की मनोदशा पर पड़ता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट मेंटल हेल्थ इन इमरजेंसीज़ में कहा गया है कि इमरजेंसी के शिकार सभी लोग मनोवैज्ञानिक तनाव झेलते हैं पर अधिकतर लोग कुछ समय बाद उनसे बाहर निकल आते हैं। पिछले दस वर्षों के अनुभव के आधार पर देखा गया है कि ऐसी समस्याओं के बाद मानसिक विकार की आशंका बढ़ जाती है।
लॉकडाउन का मतलब यह नहीं कि आप भीतर फंसे हुए हैं। आपको स्लो डाउन का मौका मिला है। हर दिन एक प्रोडक्टिव काम करें। उन कामों को पूरा कीजिए, जिसे करने के बारे में लंबे समय से सोच रहे हैं। मानकर चलिए कि यह शारीरिक दूरी है, सामाजिक दूरी नहीं- यानी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं, फिजिकल डिस्टेंसिंग है।
-आरती गुप्ता, कोविड 19 लॉकडाउन गाइड लिखने वाली साइक्लोजिस्ट
Created On :   26 March 2020 10:16 PM IST