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Mumbai News: लिविंग विल के संरक्षण को लेकर जीआर के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक चिकित्सा बोर्ड का गठन

- सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दी जानकारी
- राज्य सरकार ने जीवित वसीयत (लिविंग विल) के संरक्षण को लेकर शासनादेश (जीआर) के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक चिकित्सा बोर्ड का किया गठन
Mumbai News. राज्य सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट बताया कि जीवित वसीयत (लिविंग विल) के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 12 दिसंबर 2024 के शासनादेश (जीआर) के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्राथमिक और माध्यमिक चिकित्सा बोर्ड का गठन किया है। अदालत ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया है, तो राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर उसका अनुपालन करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की पीठ के समक्ष गोरेगांव के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.निखिल दातार द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा राज्य सरकार ने 12 दिसंबर 2024 के शासनादेश (जीआर) के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्राथमिक और माध्यमिक चिकित्सा बोर्ड का गठन किया है। उन्होंने कहा कि सक्षम अधिकारियों को चिकित्सा निर्देशों के संरक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। दस्तावेजों की त्वरित पुनर्प्राप्ति के लिए तंत्र 3 महीने के भीतर लागू किया जाएगा। पीठ ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया है, तो राज्य सरकार उसका अनुपालन करने के लिए बाध्य है। पीठ ने याचिकाकर्ता को जीआर को चुनौती देने और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के गैर-कार्यान्वयन पर सरकारी अधिकारियों को कोई भी शिकायत करने की स्वतंत्रता भी दी और इसके साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट (एससी) के निष्क्रिय इच्छामृत्यु के दिशा निर्देशों को सरल बनाने के लिए राज्य सरकार और मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से जीवित वसीयत के संरक्षण के लिए संरक्षक की नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था। जीवित वसीयत (लिविंग विल) एक कानूनी दस्तावेज है, जिसमें व्यक्ति अपनी चिकित्सा उपचार संबंधी प्राथमिकताएं निर्दिष्ट करता है, जब वह लाइलाज बीमारी या चिकित्सा आपात स्थिति के दौरान अपनी इच्छाओं को बताने में असमर्थ हो।
Created On :   17 April 2025 9:26 PM IST