Mumbai News: मुख्यमंत्री ने कहा- हिंदी देश की संपर्क भाषा इसलिए पढ़ना जरूरी, पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य करने के फैसले का विरोध

मुख्यमंत्री ने कहा- हिंदी देश की संपर्क भाषा इसलिए पढ़ना जरूरी, पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य करने के फैसले का विरोध
  • राज्य में पांचवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने के फैसले का विरोध
  • मुख्यमंत्री फडणवीस बोले - हिंदी देश की संपर्क भाषा इसलिए पढ़ना जरूरी है
  • त्रिभाषा फार्मूले को लागू करते हुए हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया

Mumbai News. देश की एक संपर्क भाषा होनी चाहिए इसी दृष्टि से केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति तैयार की है। जिसे महाराष्ट्र ने स्वीकार किया है। इसी के तहत मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य किया गया है, यह कोई नया फैसला नहीं है। हिंदी देश की संपर्क भाषा है इसलिए इसे भी लोगों को सीखना चाहिए। राज्य में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने से जुड़े शासनादेश के बाद हो रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी की पढ़ाई को अनिवार्य करने का फैसला हम पहले ही कर चुके हैं। राज्य में सभी को मराठी आनी ही चाहिए लेकिन इसके साथ-साथ छात्र अंग्रेजी, हिंदी या जो भी भाषा उन्हें सीखनी है उसे सीख पाएंगे।

बता दें कि राज्य में अब तक पांचवीं तक दो भाषाएं ही पढ़ाई जाती थीं। लेकिन अब त्रिभाषा फार्मूले को लागू करते हुए हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका विपक्षी दलों के साथ-साथ कई संगठन भी विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले को किसी भी हाल में लागू नहीं होने देगी। उन्होंने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया और कहा कि महाराष्ट्र में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं। अगर आप महाराष्ट्र को हिंदी के रंग में रंगने की कोशिश करेंगे, तो संघर्ष होगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या आप दक्षिण के राज्यों पर हिंदी थोप पाएंगे। कांग्रेस ने भी इस फैसले को हिंदी थोपने की कोशिश बताया है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हिंदी वैकल्पिक भाषा होती तो आपत्ति नहीं होती लेकिन इसे अनिवार्य बनाना मराठी अस्मिता को ठेस पहुंचाने जैसा है। क्या हम मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश में मराठी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर सकते हैं?

संगठनों ने भी किया विरोध

‘मराठीच्या व्यापक हितासाठी’ के प्रमुख संयोजक और साहित्यकार श्रीपाद जोशी ने भी मुख्यमंत्री और स्कूली शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 12वीं तक मराठी अनिवार्य करने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं किया गया, लेकिन बिना किसी मांग के पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य कर दी गई। उन्होंने कहा कि राज्य में मराठी के अलावा कोई और भाषा अनिवार्य करना मराठी के साथ अन्याय है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी आठ अन्य संस्थाओं ने भी फैसले का विरोध करते हुए इस वापस लेने के लिए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। इन आठ संस्थाओं के समन्वयक सुशील शेजुले ने कहा कि फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

Created On :   17 April 2025 10:04 PM IST

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