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Mumbai News: उद्योगपति अनिल अंबानी ने बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ दायर याचिका को लिया वापस

- अदालत ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क करने का दिया निर्देश
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों में शामिल युवक को हिरासत में लेने के पुणे पुलिस आयुक्त के आदेश को रद्द करने से किया इनकार
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को उद्योगपति अनिल अंबानी को बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते को डिफॉल्टर घोषित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क करने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिका को वापस ले लिया। पिछले दिनों अदालत ने कहा कि बैंक अक्सर आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना खातों को जानबूझकर डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और नीला के गोखले की पीठ के समक्ष अनिल अंबानी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा अनिल अंबानी के बैंक खाते को डिफॉल्टर घोषित को चुनौती दी गयी थी। पीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह आरबीआई से संपर्क करें, क्योंकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए उनके खाते को डिफॉल्टर घोषित किया है। आरबीआई ने उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं किया, तो वह दोबारा हाई कोर्ट में आ सकते हैं। इसके बाद उनके वकील ने याचिका वापस ले दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों में शामिल युवक को हिरासत में लेने के पुणे पुलिस आयुक्त के आदेश को रद्द करने से किया इनकार
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने कई आपराधिक मामलों में शामिल युवक विक्रांत उर्फ विक्की शिवाजी सरदे को एमपीडीए के मामले में हिरासत में लेने के पुणे पुलिस आयुक्त के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया। अदालत ने माना कि पुलिस आयुक्त ने सबूतों का अध्ययन कर 17 अक्टूबर 2024 को हिरासत आदेश पारित किया। इसलिए हम याचिकाकर्ता के देरी के आधार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इन सभी आधारों पर हम पाते हैं कि याचिका में कोई दम नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक की पीठ ने हिरासत में लिए गए युवक के पिता उल्का शिवाजी सरदे की याचिका पर कहा कि हमने युवक के हिरासत में लेने के आदेश का अवलोकन किया है। पिछले अपराधों के आधार पर विचार किया गया, जिससे यह पता चला कि वह आदतन अपराधी था। उन गतिविधियों में निरंतरता है। हम ने गवाह के बंद कमरे में दिए बयानों का अवलोकन किया है। उन बयानों से पता चलता है कि हिरासत में लिए गया व्यक्ति की 13 जुलाई 2024 और 19 जुलाई 2024 की घटनाओं में भी संलिप्तता था। पीठ ने यह भी कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति ने सार्वजनिक स्थानों पर गवाहों पर लकड़ी और लोहे के हथियार से हमला किया था। यह सारे सबूत दर्शाते हैं कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति की उन गतिविधियों में संलिप्तता थी और उसे हिरासत आवश्यक था। हिरासत में लेने वाले अधिकारी ने ठोस सबूत के आधार पर कार्रवाई की। याचिकाकर्ता के दलील में कोई दम नहीं है कि हिरासत आदेश पारित करने में देरी हुई और इसलिए यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं था।
Created On :   17 April 2025 9:55 PM IST