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पहली महिला विधायक की रिकार्ड जीत अभी भी चर्चा में
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की करीबी माने जाने वाली यशोधरा बजाज चंद्रपुर जिले के इतिहास में पहली महिला विधायक रहीं। 1972 में हुए चुनाव में यशोधरा बजाज ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रत्याशी के तौर पर मूल-सावली विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। हालांकि दूसरी बार पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के कारण उनका टिकट कट गया, परंतु तीसरी बार वर्ष 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें चिमूर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दी और उन्होंने विदर्भ में सर्वाधिक वोटों के साथ रिकार्ड जीत हासिल की। उस दौर में यह किस्सा काफी चर्चित रहा।
सेवा के बूते बनाई पहचान : सामान्य गृहिणी रहीं यशोधरा बजाज ने सामाजिक क्षेत्र में कदम रखा और समाजसेवा में जुट गईं। उन्होंने सर्वोदय महिला मंडल की स्थापना कर आंगनवाड़ी, स्कूल खोलने के साथ जगह-जगह नर्सिंग सेंटर भी शुरू किए। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण देना शुरू किया। चंद्रपुर जिले के शैक्षणिक क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाली बजाज ने कुछ समय बाद राजनीति में कदम रखते हुए सर्वप्रथम पार्षद पद का चुनाव लड़ा और वे पंचशील वार्ड से पार्षद चुनी गईं। वर्ष 1972 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दी और वे 37 हजार 482 वोटों से चुनाव जीत गईं। इस समय दूसरे स्थान पर रहे भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार बालाजी पंत देशकर को 16 हजार 809 वोट ही मिल पाए थे।
गुटबाजी से नहीं बच पाईं : जब 1978 में विधानसभा चुनाव आए तब यशोधरा बजाज को टिकट मिलेगी, यह लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के कारण उन्हें टिकट नहीं मिला। कहा जाता है कि वर्ष 1967 में हुए चुनाव में सावली विस क्षेत्र से वामन गड्डमवार कांग्रेस की टिकट पर जीते थे। इसलिए वे टिकट पाने की जिद पर अड़े थे और इस कारण बजाज को टिकट नहीं मिला। इसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा और इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाते हुए जनता पार्टी के देवराव भांडेकर चुनाव जीत गए। यह वर्ष 1978 की बात है।
इंदिरा गांधी से था सीधा संपर्क
बजाज का संपर्क सीधे इंदिराजी के साथ होने से वे गुटबाजी से दूर ही रहतीं थीं। इंदिराजी को मुश्किल घड़ी में उन्होंने साथ भी दिया था। 1980 के चुनाव में यशोधरा बजाज को इंदिराजी ने चिमुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दी और उन्होंने 44 हजार 264 रिकार्ड वोट हासिल कर सभी को चकित कर दिया। उनके खिलाफ लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी वसंतराव पोशेट्टीवार को मात्र 13 हजार 168 वोट मिले थे। उस समय कांग्रेस दो गुटों में बंट गई थी और दोनों ही धड़ों ने अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। इनमें से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (उर्स) के प्रत्याशी विट्ठलराव सोनवने को मात्र 12 हजार 666 वोट ही मिल पाए थे।
Created On :   8 Oct 2019 5:39 PM IST