जलसंकट से निपटने 31.5 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की तैयारी

जलसंकट से निपटने  31.5 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की तैयारी
जलसंकट से निपटने 31.5 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गर्मी के मौसम में ग्रामीण और शहर दोनों जलसंकट से जूझते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च होता है। भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जलपुनर्भरण को ठेंगा दिखाया जा रहा है। जलसंकट की समस्या का यह मूल कारण है। जलसंकट पैदा होने पर उपाययोजना के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। यह स्थिति पैदा न हो, इसके लिए जो प्रयास होने चाहिए वह नहीं किए जा रहे हैं। हालांकि जल पुनर्भरण यह जलसंकट निवारण उपाययोजना का यह हिस्सा नहीं है, लेकिन अन्य योजनाओं में भी इसके लिए निधि का प्रावधान नहीं है।

कलमेश्वर  में फ्लशिंग का प्रयोग सफल
पिछले वर्ष कलमेश्वर, नरखेड़ और काटोल तहसीलों में भारी जलसंकट था। कलमेश्वर तहसील में सीएसआर फंड से 40 बोरवेल का फ्लशिंग किया गया। यह प्रयोग सफल रहा। फ्लशिंग किए गए सभी बोरवेल के जलस्रोत पुनर्जीवित होकर जलसंकट को मात दी गई। गोंडखैरी, घोराड़, धापेवाड़ा, सिंधी आदि गांवों में यह प्रयोग किया गया।

दो चरणों में योजना 
जिले के ग्रामीण क्षेत्र में संभावित जलसंकट से निपटने के लिए ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने 31 करोड़, 55 लाख, 90 हजार रुपए अपेक्षित खर्च का प्रारूप तैयार किया है। इसे जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे ने मंजूरी प्रदान की है। दो चरणों में जलसंकट निवारण उपाययोजना पर मंजूर निधि खर्च किया जाएगा। नए 264 बोरवेल के लिए 3 करोड़, 41 लाख, 40 हजार रुपए खर्च अपेक्षित है। टैंकर से जलापूर्ति के लिए 1 करोड़, 10 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।

विशेष नल योजना के 263 कामों पर 29 लाख 50 हजार रुपए, अस्थायी पूरक जल योजना के 2 काम पर 15 लाख रुपए, कुंओं की गहराई बढ़ाने के लिए 2 करोड़, 30 लाख रुपए, निजी कुंओं के अधिग्रहण पर 16 लाख 4 हजार रुपए खर्च होने की उम्मीद है। पहले चरण में 1007 कामों में 22 करोड़, 86 लाख, 44 हजार रुपए और दूसरे चरण में 441 कामों पर 8 करोड़, 69 लाख, 56 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। 

ग्राम पंचायतें गंभीर नहीं 
जलसंकट निवारण उपायोजना को लेकर ग्राम पंचायतें गंभीर नहीं है। बोरवेल फ्लशिंग का ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के पास अभी तक एक भी प्रस्ताव नहीं आया है। जिले में 880 बोरवेल बंद पड़े हैं। उसी का फ्लशिंग कर पुनर्जीवित किया जा सकता है। फ्लशिंग करने के बाद भी यदि किसी बोरवेल में पानी नहीं आने पर उसका जलपुनर्भरण के लिए उपयोग किया जा सकता है। बोरवेल फ्लशिंग और जल पुनर्भरण ग्राम पंचायत अपने स्तर पर चौदहवें वित्त आयोग की निधि से खर्च कर सकते हैं। बाेरवेल फ्लशिंग पर नए बाेरवेल के मुकाबले 20 प्रतिशत खर्च में पुराने जलस्रोत को पुनर्जीवित किया जा सकता है। पुनर्भरण से जलस्तर में सुधार होकर जलसंकट से राहत मिल सकती है।

"नाविण्यपूर्ण योजना" से करेंगे फ्लशिंग
जलस्रोत पुनर्जीवित हुए। इस वर्ष 50 बोरवेल का फ्लशिंग किया जाएगा। खनिज विकास प्रतिष्ठान तथा जिला नियोजन समिति की निधि से "नाविण्यपूर्ण योजना" के माध्यम से जल पुनर्भरण और बोरवेल फ्लशिंग के लिए निधि उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
मनोहर कुंभारे, उपाध्यक्ष, जिला परिषद

Created On :   2 March 2020 12:17 PM IST

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