Nagpur News: स्मार्ट मीटर को लेकर दायर याचिका पर केंद्र व राज्य को नोटिस

स्मार्ट मीटर को लेकर दायर याचिका पर केंद्र व राज्य को नोटिस
  • हाई कोर्ट ने तीन सप्ताह में मांगा जवाब
  • स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को रोकने के निर्देश देने की मांग

Nagpur News महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा विभाग और महावितरण द्वारा शुरू की गई स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को रोकने के निर्देश देने की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार के विद्युत एवं ऊर्जा मंत्रालय के प्रधान सचिव, विद्युत मंत्रालय की नोडल एजेंसी पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, राज्य के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और एमएसईडीसीएल मुख्य अभियंता को नोटिस जारी करते हुए 3 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।

दबाव डाला जा रहा है : यवतमाल के विदर्भ विद्युत ग्राहक संगठन के अध्यक्ष प्रशांत दर्यापुरकर ने इस मुद्दे पर नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, राज्य सरकार और महावितरण उपभोक्ताओं पर जबरदस्ती प्रीपेड इलेक्ट्रिक स्मार्ट मीटर लगाने के लिए दबाव डाल रहे हैं, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कोई अधिकृत समिति यह तय नहीं कर पाई है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर जरूरी हैं या नहीं, और न ही पुराने दोषपूर्ण मीटरों पर कोई रिपोर्ट उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में पहले से कार्यरत मीटरों को बदलना अनावश्यक खर्च है।

बाध्य न किया जाए : याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार 60 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है, जबकि 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। इस योजना के वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर भी संदेह व्यक्त किया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता ने मांग की है कि राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग और महावितरण को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बाध्य न किया जाए। यदि किसी विशेषज्ञ समिति की कोई रिपोर्ट उपलब्ध हो, तो उसे भी न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाए। इस मामले पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नीति से संबंधित जानकारी और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ सुधारित याचिका प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से एड. प्रतीक पुरी ने पैरवी की।

20 वर्षों में 3 प्रकार के मीटर बदले गए : याचिका के अनुसार विद्युत अधिनियम 2003 के तहत उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के अनुसार मीटर चुनने का अधिकार है, लेकिन 2003 के बाद से पहले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मीटर लगाए गए, फिर इलेक्ट्रॉनिक मीटर और उसके बाद डिजिटल मीटर लगाए गए। अब प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। यानी पिछले 20 वर्षों में 3 बार मीटर बदले गए। याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि पुराने मीटरों के बदले उपभोक्ताओं द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि का क्या होगा और बदले गए मीटरों का स्क्रैप मूल्य क्या होगा।

Created On :   17 April 2025 1:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story