आपराधिक पृष्ठभूमिवाला व्यक्ति बीएआरसी जैसे संवेदनशील संस्थान में कार्य करने के योग्य नहीं

Person with criminal background not fit to work in sensitive institution like BARC-HC
आपराधिक पृष्ठभूमिवाला व्यक्ति बीएआरसी जैसे संवेदनशील संस्थान में कार्य करने के योग्य नहीं
हाईकोर्ट आपराधिक पृष्ठभूमिवाला व्यक्ति बीएआरसी जैसे संवेदनशील संस्थान में कार्य करने के योग्य नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) में संवेदनशील कार्य किया जाता है। ऐसे में आपराधिक पृष्ठभूमिवाले व्यक्ति को बीएआरसी जैसे संवेदनशील संस्थान में कार्य की इजाजत नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाते स्वप्निल परब नामक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया है। परब को बीएआरसी की नौकरी के लिए इसलिए अयोग्य ठहरा दिया था। क्योंकि उसने खुद के खिलाफ प्रलंबित आपराधिक मामले को नौकरी के आवेदन में छुपाया था। नौकरी के लिए आयोग्य ठहराने के निर्णय को परब ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। जिसे न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति आरएन लद्धा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। 

खंडपीठ ने कहा कि बीएआरसी राष्ट्र का प्रतिष्ठित शोध केंद्र है। जहां पर परमाणु विज्ञान से जुड़े विषय पर शोध किया जाता है। ऐसे में बीएआरसी जैसे संवेदनशील संस्थान में काम करने के इच्छुक अभ्यार्थी का चरित्र व व्यक्तित्व साफ-सुथरा होना अपेक्षित है। आपराधिक पृष्ठभूमिवाली व्यक्ति बीएआरसी जैसे संस्थान में काम करने के योग्य नहीं है। ईमानदारी व सत्यनिष्ठा बीएआरसी जैसे संस्थान में काम के इच्छुक व्यक्ति के लिए बेहद जरुरी है। 

दरअसल परब ने बीएआरसी में साल 2016 में अस्पताल सहायक पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। परब ने जब इस पद के लिए आवेदन किया था तो उसने अपने खिलाफ साल 2012 से प्रलंबित आपराधिक मामले का जिक्र नहीं किया था। परब पर सार्वजनकि व्यवस्था को भंग करने व एक शख्स को चोट पहुंचाने का आरोप था। बीएआरसी ने जब आवेदनों का निरीक्षण किया तो उन्हें परब के खिलाफ उन्हें प्रलंबित आपराधिक मामले की जानकारी मिली। इसके बाद उसकी ओर से नौकरी के लिए किए गए आवेदन को खारिज कर दिया। जिसे परब ने कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता(परब) को अपने प्रलंबित मामले की जानकारी थी इसके बावजूद उसने आपराधिक मामले की जानकारी छिपाई थी। हालांकि सुनवाई के दौरान परब के वकील ने कहा कि साल 2012 के आपराधिक मामले से मेरे मुवक्किल को कोर्ट ने बरी कर दिया है। उसने कोई अपराध नहीं किया था। इसलिए आवेदन में प्रलंबित मामले की जानकारी नहीं दी गई थी। किंतु खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने बारे में महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया था। इस तरह खंडपीठ ने परब की याचिका को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   22 Sept 2022 8:59 PM IST

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