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पुलिस अस्पताल में खुला कैंसर क्लिनिक, 160 पुलिस परिवार जूझ रहे हैं बीमारी से
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पुलिस विभाग ने अपना एक अलग कैंसर क्लिनिक तक खोल दिया है। नागपुर में अधिकारी-कर्मचारी सहित 160 परिवार इस बीमारी से जूझ रहे हैं। इस पुलिस अस्पताल में आईएम (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) से जुड़े शहर के करीब 40 विशेषज्ञ पहले से ही अपनी नि:शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। अब हाल ही में खुले कैंसर क्लिनिक में दो कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर भी सेवाएं देने लगे हैं। इस अस्पताल में 10 रुपए में ओपीडी कार्ड निकाल कर पुलिस और उनके परिवार के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसी शुल्क में यहां कैंसर के बारे में भी पता लगाया जाता है। आधुनिक तरीके से तैयार किए गए पुलिस अस्पताल को पॉली क्लिनिक का नाम दिया गया है।
पुलिस आयुक्त को 3 लाख तक दवा का बिल पास कराने का अधिकार
पुलिस आयुक्त को 3 लाख रुपए तक की दवा का बिल पास करने का अधिकार है। गत एक वर्ष में पुलिस आयुक्तालय ने अपने वेलफेयर फंड से 93 पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों पर करीब 61 लाख रुपए खर्च किया है। पुलिस अस्पताल में फिलहाल महिलाओं का प्रसव कराने की व्यवस्था नहीं है। इसे जल्द शुरू किया जाएगा। इसका प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। इस अस्पताल में आयुर्वेदिक इलाज भी कराया जा सकता है। 38 लोगों का स्टाफ कार्यरत है। जिसमें 7 नर्स, 3 डॉक्टर व अन्य शामिल हैं। डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रा साउंड, ऑटो पैक मशीन, सेल काउंटर आदिकी सुविधा दी जाती है।
अस्पताल में पहुंचने के बाद पता चला कैंसर
इस अस्पताल में आए कुछ मरीजों में कैंसर के प्राथमिक लक्षण देखने पर डॉ. शिंदे ने उन्हें बाहर के अस्पताल में भेजा, तब पता चला कि उन्हें कैंसर है। इधर पुलिस परिवारों में कैंसर के मरीज धीरे-धीरे बढ़ने लगे थे। इसलिए यहां कैंसर क्लिनिक शुरू किया गया है। पुलिस परिवारों में बढ़ते कैंसर के रोग को देखते हुए डॉ. शिंदे ने पुलिस आयुक्त डॉ. उपाध्याय और सह पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम से कैंसर क्लिनिक खोलने के लिए बात की। इसके बाद यहां पर कैंसर क्लिनिक शुरू किया गया। कैंसर के मरीज के लिए किमो व रेडियोथेरेपी की व्यवस्था है। यहां ब्लड व अन्य 14 प्रकार की जांच भी की जाती है।
थायराइड का नहीं है यहां इलाज
इस अस्पताल में 10 रुपए के ओपीडी कार्ड में तमाम प्रकार की बीमारियों का उपचार होता है, सिर्फ थायराइड का उपचार नहीं होता है। इसका कारण इस बीमारी की जांच करने वाली मशीन की कीमत करीब 13.50 लाख रुपए है। इस अस्पताल का खर्च पुलिस आयुक्तालय के वेलफेयर फंड से उठाया जा रहा है। सरकार से कोई सामग्री या किसी तरह की मदद नहीं मिलती है। मरीजों के लिए यहां दो एम्बुलेंस 24 घंटे तैयार रहती हैं। यहां हर विभाग के कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
पुलिस आयुक्त डॉ. उपाध्याय ने शुरू कराई थी क्लीनिक
सूत्रों के अनुसार पुलिसकर्मी सहित उपायुक्त स्तर के अधिकारियों के परिवार और उनके कुछ रिश्तेदार कैंसर की गिरफ्त में हैं। पुलिस अस्पताल को आधुनिक बनाने के लिए अंदर का स्ट्रक्चर तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. के. व्यंकटेशम के कार्यकाल में तैयार हुआ था। उनके जाने के बाद इस अस्पताल की देखरेख डॉ. संदीप शिंदे कर रहे थे। अब पुलिस आयुक्त डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय की बदौलत पुलिस लाइन टाकली स्थित इस अस्पताल में कैंसर क्लीनिक की शुरूआत हो पाई।
मरीज की सुविधा का ध्यान
इस अस्पताल के शुरू होने से पुलिस परिवार को समय पर इलाज मिल सकता है। उसे क्या बीमारी है, यह पता चल सकता है। बस इस अस्पताल से मरीज को मायूस होकर न लौटना पड़े, यही हम सबका प्रयास रहता है।
डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय, पुलिस आयुक्त, शहर नागपुर
जल्द शुरू होगा डिलीवरी का भी विभाग
पुलिस अस्पताल के पीछे काफी जगह है। यहां पर जल्द ही डिलीवरी वार्ड शुरू करने की योजना है। उसके बाद पुलिस परिवार को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए पुलिस आयुक्त व अन्य अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है।
डॉ. संदीप शिंदे, चिकित्साधिकारी, पुलिस अस्पताल
Created On :   20 Jun 2019 10:56 AM IST