- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- अब नई डिग्रियां जारी करेगा...
अब नई डिग्रियां जारी करेगा यूनिवर्सिटी, भूल सुधारने वापस मंगवा रहे स्टूटेंड्स से गलत डिग्रियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित पोस्ट ग्रेजुएट इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को गलत डिग्रियां देने का मामला भास्कर हिंदी डॉट कॉम पर उजागर करने के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी गलती सुधारने का निर्णय लिया है। यूनिवर्सिटी ने सभी गलत डिग्रियों को वापस मंगवा कर स्टूडेंट्स को नई डिग्रियां जारी करने का फैसला लिया है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी के जनसंवाद विभाग और धनवटे नेशनल कॉलेज के जनसंवाद विभाग से संपर्क कर उन्हें कहा है कि वे ऐसे स्टूडेंट्स से संपर्क साधें, जिन्हें बीते समय में "मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन" की डिग्रियां जारी की गई हैं और उनकी डिग्रियां परीक्षा विभाग को लौटाएं। इसके बाद स्टूडेंट्स को सुधारित "एमए इन मास कम्युनिकेशन" की डिग्रियां जारी की जाएंगी।
30 स्टूडेंट्स की डिग्रियां गलत
बता दें कि हमने इस विषय को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी मामले की जांच शुरू की। इसमें पता चला है कि यह त्रुटि वर्ष 2016 और वर्ष 2017 की बैच की डिग्रियों में हुई है। इस दौरान यूनिवर्सिटी ने कुल 59 स्टूडेंट्स को डिग्रियां दीं। इसमें से करीब 30 स्टूडेंट्स को गलत नाम की डिग्रियां जारी हुई हैं।
यूजीसी की सूची में नहीं था पाठ्यक्रम
वर्ष 2002 में यूजीसी ने पोस्ट ग्रेजुएट इन मास कम्युनिकेशन के पाठ्यक्रम के नाम में बदलाव किया। मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन कोर्स बंद करके मास्टर ऑफ आर्ट्स (मास कम्युनिकेश्न) शुरू किया। इसके बाद सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां ‘मास्टर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेश्न’ नाम से पाठ्यक्रम चलाने के आदेश दिए गए। नागपुर यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2008-09 में इस बदलाव को स्वीकार किया, लेकिन यूनिवर्सिटी ने बीते कुछ वर्षों में कुछ स्टूडेंट्स को ‘मास्टर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेश्न’ की डिग्री दी है, तो कुछ को ‘मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (एमएमसी) की डिग्री दी है। ऐसे में जो पाठ्यक्रम बंद हो गया है, इसकी डिग्री देकर यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स का भविष्य संकट में डाल दिया।
विश्वविद्यालय की ओर से मास कम्युनिकेशन की डिग्रियां जारी करने में भूल हुई। हम किसी स्टूडेंट का भविष्य संकट में नहीं पड़ने देंगे। भूल को सुधारनेे के लिए सभी गलत नाम वाली डिग्रियां वापस मंगाई गई हैं। एक सप्ताह में उन्हें नई डिग्रियां जारी की जाएंगी। -डॉ. अनिल हिरेखण, प्रभारी परीक्षा नियंत्रक नागपुर विवि
Created On :   21 Jun 2019 12:18 PM IST