17 साल बाद 16 कर्मियों को मिली पुन: नियुक्ति

The dilution of NIT will increase work space and expenditure
एनआईटी के विलीनीकरण से बढ़ेगा कार्यक्षेत्र और खर्च, गुणा-भाग लगा रही मनपा
17 साल बाद 16 कर्मियों को मिली पुन: नियुक्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगरपालिका की सेवा में अतिरिक्त बताते हुए बर्खास्त किए गए 16 कर्मचारियों को आखिरकार लंबे संघर्ष के बाद मनपा में पुनर्नियुक्ति मिल गई। आत्मदहन के प्रयास के बाद सरकार ने मनपा पर इसकी जिम्मेदारी ढकेल दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुमोटो एक्शन लिया और मनपा ने  अंतत: सभी 16 कर्मचारियों को नियुक्ति-पत्र थमाया। सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र मिलते ही सोमवार को अपने-अपने विभाग में कार्यभार संभाल लिया। उन्हें 2002 से लेकर 2019 तक कोई भत्ते या अन्य देय भुगतान नहीं होगा। इन 17 वर्षों में मानसिक और आर्थिक रूप से हुए नुकसान को देखते हुए संबंधित कर्मचारियों ने अब इसकी भरपाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। 

वर्ष 1997 में मनपा में 252 लोगों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन तत्कालीन आयुक्त टी. चंद्रशेखर ने वर्ष 2002 में इसमें 106 लोगों को सेवा में अतिरिक्त बताते हुए बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद सभी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मंत्रालय में भी मामला गया। 2011 में हाईकोर्ट ने 106 में से 89 कर्मचारियों को सेवा में लेने का आदेश दिया था। 17 कर्मचारी फिर अटक गए। इस बीच 17 में से एक कर्मचारी की मृत्यु हो गई। 16 लोग दोबारा कोर्ट गए। मंत्रालय भी पहुंचे। इस बीच 2015 में न्यायमूर्ति वासंती नाईक की खंडपीठ ने 3 महीने में इस संबंध में निर्णय लेने का आदेश सरकार को दिया।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने पर पिछले साल कुछ कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के धरमपेठ स्थित निवास के सामने केरोसिन डालकर आत्मदहन का प्रयास किया। इसे पुलिस ने विफल कर उन्हें हिरासत में लिया था। इसके बाद सरकार जागी और पत्र जारी कर कहा कि, मनपा इस बारे में कोई निर्णय ले। हाईकोर्ट ने भी सुमोटे एक्शन लेकर मनपा को त्वरित निर्णय लेने का आदेश दिया था। जिसके बाद 26 जून 2019 को आयुक्त को इस बारे में आदेश मिला। सोमवार को मनपा प्रशासन ने सभी 16 कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देकर उन्हें मनपा ग्रंथालय विभाग में नियुक्त किया। फिलहाल पत्र में 2002 से 2019 तक किसी तरह के भत्ते या देय का भुगतान नहीं करने का उल्लेख किया गया है, जिसे लेकर हाईकोर्ट में आगामी दिनों में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है। 

इन कर्मचारियों को मिला फायदा 
सुभाष घाटे, मो. युसूफ मो. याकूब, दीपक पोटफोडे, प्रकाश बरडे, विनायक पेंडके, जीवक शामकुले, गंगाधर भिवगड़े, दुर्गा तहलानी, शालू खोपडे, रत्नाकर धोटे, रमेश बावनकर, अशोक देवगडे, अरुण खोपडे, विजय हटवार, सूरज बर्वे, गणपत बाराहाते। 

Created On :   6 Aug 2019 12:50 PM IST

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