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सीएमआरएस टीम की निरीक्षण रिपोर्ट पर निर्भर होगा मेट्रो का चलना
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) ने महामेट्रो नागपुर प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया। इसके लिए 3 सदस्यों की टीम दो दिवसीय दौरे के लिए नागपुर आई है। टीम का नेतृत्व सीएमआरएस जनककुमार गर्ग ने किया। इनके साथ के.एल पुर्थी और वरूण मौर्य निरीक्षण के दौरान मौजूद रहे। टीम द्वारा निरीक्षण जारी है। इस निरीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर ट्रेक पर आवाजाही का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा। सीएमआरएस टीम मेट्रो ट्रेक, स्टेशन, रोलिंग स्टॉक और अन्य रेलवे प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया।
पहले दिन निरीक्षण के पूर्व सिविल लाइन स्थित मेट्रो हाऊस में टीम प्रमुख गर्ग ने महा मेट्रो के प्रबंध निदेशक डॉ. ब्रिजेश दीक्षित से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कार्यो का जायजा लिया। सीएमआरएस टीम ने सीताबर्डी इंटरचेंज स्टेशन का निरीक्षण किया जिसमें कंट्रोल रूम, आपातकाल में यात्रियों की सुविधा, स्मोक डिटेक्शन सिस्टम, बैग स्केनर, सुरक्षा प्रणाली, फायर अलार्म सिस्टम, ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम, लिफ्ट, एस्केलेटर का निरीक्षण किया। साथ ही दूरसंचार उपकरण कक्ष और आपातकाल प्रकाश व्यवस्था की भी जांच की। सीएमआरएस टीम इंटरचेंज स्टेशन से ट्रॉली में सवार होकर एयर पोर्ट और खापरी स्टेशन का निरीक्षण कर रही है।
मेट्रो जॉय राइड में मनमानी का आरोप
मेट्रो रेल की जॉय राइड के मामले में भी व्यवस्थापन की ओर से मनमानी करने का आरोप जय जवान जय किसान संगठन ने लगाया है। संगठन के अनुसार रेलवे सुरक्ष आयोग सीआरएस की मंजूरी के पहले महामेट्रो ने हैदराबाद की एलएनटी कंपनी से 3 वर्ष का अनुबंध करके डिब्बे किराए से लिए थे। डिब्बे का इस्तेमाल जॉय राइड के लिए करके निजी कंपनी को 75 करोड़ दिए गए हैं। संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार ने कहा है कि, कैग की रिपोर्ट में इस मामले को लेकर आपत्ति दर्ज की गई है। लिहाजा महामेट्रो के व्यवस्थापक बृजेश दीक्षित पर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
प्रेस कांफ्रेंस में पवार ने बताया कि, महामेट्रो ने एलएनटी, हैदराबाद कंपनी को दो मेट्रो रेल एक वर्ष के लिए किराए से देने का निवेदन किया था। एलएनटी ने 4 वर्ष की शर्त रखी। महामेट्रो ने वह मान्य करते हुए 3 वर्ष का लान इन पीरियड रखा। प्रति वर्ष 15 करोड़ रुपये अनुबंध के हिसाब से तय किया गया। मेंटेनंेस, विद्युत, वेतन के लिए 15 करोड़ रुपये देना होगा। यह अनुबंध 18 मई 2017 को तय किया गया। करोड़ों के अनुबंध के बाद भी निविदा नहीं निकाली गई। सीआरएस ने यात्रा के लिए 6 अप्रैल 2018 को अनुमति दी। नियम प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया गया। जॉय राइड के संदर्भ में राज्य या केंद्र सरकार को सूचना नहीं थी। डीपीआर में भी समावेश नहीं था। अब तक एलएनटी को 30.90 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
आराेप निराधार
आरोप निराधार हैं। असत्य हैं। हैदराबाद से रैक मिलने से प्रोजेक्ट लागत कम करने में मदद मिली है। 27 माह के रिकार्ड समय में मेट्रो ट्रायल की गई। रोलिंग स्टाक को सबसे कम कीमत में खरीदा गया। एक ही रोलिंग स्टाक का इस्तेमाल पुणे व ठाणे प्रकल्प में भी किया जा सकता है। नागपुरवासियों के अनुरोध पर जॉय राइड का निर्णय लिया गया। कैग की आपत्ति प्रिमिलिमिनरी है। उसका जवाब दिया जा चुका है। -महाव्यवस्थापक, महामेट्रो नागपुर
Created On :   20 Jun 2019 2:33 PM IST