मध्यप्रदेश की हलचल पर महाराष्ट्र के नेताओं की नजर, आघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर चर्चा

Maharashtra leaders keep an eye on Madhya Pradeshs Political stir
मध्यप्रदेश की हलचल पर महाराष्ट्र के नेताओं की नजर, आघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर चर्चा
मध्यप्रदेश की हलचल पर महाराष्ट्र के नेताओं की नजर, आघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर चर्चा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार अस्थिर हो गई है। होली के दिन राजनीतिक उथलपुथल चलती रही। वहां की सरकार की अस्थिरता का प्रभाव महाराष्ट्र में भी पड़ने की संभावना जतायी जा रही है। राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर विविध चर्चाएं होने लगी है। राजनीतिक दलों के नेता भी खुलकर मत व्यक्त करने लगे हैं। यहां की राजनीतिक स्थिति पर दो बड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आयी है। महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन में प्रमुख भूमिका निभानेवाले राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि महाविकास आघाड़ी सरकार पूरे 5 साल रहेगी। मध्यप्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम का यहां प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने आशंका जतायी है। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे निरुपम ने महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस के शामिल होने को लेकर असहमति जतायी थी। विचारधारा का ध्यान रखने को कहा था। अब कहा है कि महाविकास आघाड़ी में मतभेद है। इस सरकार का टिकना कठिन है। निरुपम ने कहा है कि मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर हलचल िछपी नहीं थी। कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं को सारी जानकारी थी। लेकिन सिंधिया के मामले को सुलझाने में असफल रहे ।

महाराष्ट्र में सरकार में शामिल व बाहर काम कर रहे कांग्रेस के नेताओं की विविध मामलों पर असहमति को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। इसी मामले पर रिपब्लिकन पार्टी के नेता व केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा है कि मध्यप्रदेश की राजनीति का प्रभाव राज्य में पड़ेगा। महाविकास आघाड़ी सरकार अस्थायी है। इसी मामले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कृषि मामलों के सलाहकार किशोर तिवारी ने कहा है कि महाविकास आघाड़ी के बजाय भाजपा के टूटने की अधिक संभावना है। महाविकास आघाड़ी में 15 विधायकों की संख्या कभी भी बढ़ सकती है। तिवारी के अनुसार कांग्रेस के ही कुछ नेता भाजपा में जाकर चुनाव जीते हैं। भाजपा को छोड़ सकते हैं। भाजपा से पहली बार ऐसे भी विधायक बने हैं जो दो से तीन दशक तक कांग्रेस या शिवसेना में रहे हैं। भाजपा की स्थिति नहीं है कि वह विधानसभा में फ्फ्लोर टेस्ट करा सके। भाजपा के 105 विधायक हैं। लेकिन सरकार के लिए मतदान की स्थिति आये तो उसके पास 85 से 90 विधायक ही रह पाएंगे। भाजपा के 20 विधायक महाविकास आघाड़ी के संपर्क में है। उनका एक गुट बन सकता है। 7 विधायक ऐसे भी हैं जो किसी भी स्थिति में भाजपा के साथ नहीं होंगे। इनमें एमआईएम के 2, समाजवादी पार्टी के 2, माकपा के 1, शेकाप के 1 व निर्दलीय 1 शामिल हैं। 

Created On :   11 March 2020 10:18 PM IST

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