नागपुर यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना अब आसान होगा

It will now be easier to do PhD from Nagpur University
नागपुर यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना अब आसान होगा
नागपुर यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना अब आसान होगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपने पीएचडी के नियमों को शिथिल किया है। पीएचडी अभ्यर्थियों की गिरती संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालय ने बीते दिनों वरिष्ठ सीनेट सदस्य डॉ.आर.जी.भोयर की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने विविध सिफारिशों की एक रिपोर्ट शनिवार को सीनेट में रखी, जिसे सीनेट ने मंजूरी दे दी है। मुख्य बदलाव पीएचडी प्रवेश परीक्षा (पेट) और गाइड से जुड़े नियमों मंप हुए हैं। अब से पेट-1 और पेट-2 नहीं, सिर्फ एक पेट परीक्षा ली जाएगी। यह परीक्षा एम. फिल और पीएचडी की प्रवेश परीक्षा होगी। इसमें अब तक होने वाली नेगेटिव मार्किंग भी हटा दी गई है। वहीं, पूर्व में किसी भी वर्ष में पेट पास कर चुके विद्यार्थी पीएचडी के लिए पात्र माने जाएंगे। एम. फिल, यूजीसी नेट-सेट, जेआरएफ और अन्य समकक्ष प्रवेश परीक्षाएं पास करने वाले अभ्यर्थियों को भी पीएचडी के लिए पात्र माना जाएगा। 

गाइड के नियमों में बदलाव 

अब तक विवि के फुल टाइम शिक्षकों को पीएचडी डिग्री प्राप्त करने के बाद तीन वर्ष अध्यापन करना पड़ता था। इसके बाद ही वे गाइड बनने के पात्र माने जातेे थे। विवि ने तीन वर्ष अध्यापन की यह शर्त भी हटा दी है। समिति ने इसे अनावश्यक मान कर हटाया है। पीएचडी करने के बाद से ही अभ्यर्थी पीएचडी गाइड बनने के पात्र होंगे। इसके अलावा फुल टाइम असिस्टेंट लाइब्रेरियन, डिप्टी लाइब्रेरियन, लाइब्रेरियन और फिजिकल एजुकेशन डायरेक्टर को भी पीएचडी गाइड बनने के लिए पात्र माना गया है। वहीं, तीन वर्ष की अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले गाइड को किसी भी अभ्यर्थी को गाइड करने पर प्रतिबंध था, यह प्रतिबंध भी हटा दिया है। जब तक गाइड के पास आखिरी अभ्यर्थी शेष है, उनका गाइड का दर्जा बना रहेगा। 

नौकरी कर सकेंगे अभ्यर्थी 

अब तक फुल टाइम मोड में पीएचडी रजिस्ट्रेशन कराने वाले अभ्यर्थियों को पार्ट टाइम मोड में शिफ्ट होने की छूट थी। पर पार्ट टाइम मोड वालों को फुल टाइम पीएचडी करने की छूट नहीं थी। विवि ने उन्हें भी इसके अधिकार दिए हैं। वहीं फुल टाइम पीएचडी अभ्यर्थियों को नौकरी करने के भी अधिकार िदए गए हैं। विवि की इस समिति में डॉ.आेमप्रकाश चिमणकर, डॉ.ऊर्मिला डबिर, डॉ.नितीन कोंगरे, डॉ.अजित जाचक, डॉ.निरंजन देशकर और डॉ.मृत्युंजय सिंह का समावेश था। 

30 दिनों में वायवा

आरआरसी को नियमित बैठकों के अलावा 6 माह में दो बार अनिवार्य रूप से बैठक लेना होगा। किसी भी अभ्यर्थी को आरआरसी से शिकायत हो तो वह पहले ग्रवियंस रिड्रेसल और फिर कुलगुरु के पास अपील कर सकता है। अब तक यह भी नियम था कि मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा थीसिस पर सकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद अभ्यर्थी का वायवा देरी से होता था। कई बार तो उन्हें वर्षों तक इंतजार करना पड़ता था। विवि ने अब सकारात्मक रिपोर्ट मिलने के एक माह के भीतर वायवा कराने का निर्णय लिया है। 

 

Created On :   8 March 2020 5:34 PM IST

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