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एलर्जी को नजरअंदाज करना घातक , हो सकती है कई तरह की गंभीर समस्या
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एलर्जिक राइनाइटिस को गंभीरता से नहीं लिया जाना गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। यहां तक कि नवजात शिशु में इस समस्या को नजरअंदाज करने से बाद अस्थमा और ब्रॉनकाइटिस होने की आशंका 30 फीसदी तक बढ़ जाती है। दुनिया भर में 20 से 30 फीसदी लोगों में एलर्जी के लक्षण मिलते हैं। यह जानकारी डॉ. सुबीर जैन ने एआेआईसीओएन- 2020 में लेटेस्ट मैनेजमेंट ऑफ एलर्जिक राइनाइटिस पर आयोजित चर्चासत्र में व्यक्त किए। संचालन डॉ. सुबीर जैन ने किया और पैनल में डॉ. असीम देसाई, डॉ. रूपाली जैन, डॉ. सुनीता शुक्ला, डॅा. सारिका जैन, डॉ. आनंद पेनडुरकर और डॉ. विक्रम खन्ना शामिल थे। सत्र में चेयर पर्सन के रूप में विरल छाया और हरितोष वेलेन्कर उपस्थित थे।
एयर प्यूरीफायर से सकती है समस्या
चर्चा सत्र के दौरान डॉ. आनंद पेनडुरकर ने बताया कि घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग बढ़ रहा है। इससे कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने घर को साफ रखने की जरूरत है न कि जीवाणुमुक्त करने की। कई तरह के जीवाणु जरूरी भी होते हैं।
क्या है एलर्जिक राइनाइटिस
नाक में होने वाली एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस कहते हैं। लगातार छींकें आना, नाक से तरल पदार्थ बहना, नाक, आंख, में खुजली होना सिर दर्द की शिकायत हो सकती है।
क्या हों सावधानियां
इस तरह की एलर्जी और धूल व धुंए से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करना चाहिए। तापमान में अचानक परिवर्तन होने पर बचाव करना चाहिए। घर के पर्दे, चादर, बेडशीट व कालीन को नमी से बचाने के लिए समय-समय पर इन्हें धूप में रखना चाहिए।
एओआईसीओएन-2020 शामिल हुए 2200 डॉक्टर
नागपुर में आयोजित एओआईसीओएन-2020 सम्मेलन में देश-विदेश के 2200 डॉक्टर शामिल हुए हैं। इसमें कान, नाक और गले से संबंधित बीमारियों के विशेषज्ञ शामिल हैं। सम्मेलन के पहले दिन विशेषज्ञों ने 15 जटिल ऑपरेशन किए। इनमें कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी, थायराइल कैंसर सर्जरी, नाक की प्लास्टिक सर्जरी, ओरल कैंसर की सर्जरी शामिल हैं। सम्मेलन के दूसरे दिन सुबह 9 बजे से सेशन शुरू हुए। 50 से ज्यादा विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने पेपर्स समिट किए और पैनल डिस्कशन में नवीनतम तकनीकों पर चर्चा हुई।
सम्मेलन का समापन 12 जनवरी को होगा। एसोसिएशन ऑफ ऑटोलैरिन्गोलॉजिस्टस इंडिया और विदर्भ की ओर से आयोजित सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. मदन कापरे और सचिव डॉ. नंदू कोलवाडकर हैं। विदेश से भी कई विशेषज्ञ सम्मेलन में शिरकत किए हैं। इनमें डॉ. संतदीप पॉन, डॉ. नील टॉली, डॉ. राबर्ट व्हीसेंट, डॉ. ग्रेगरी रैन्डॉल्फ, डॉ. सबैस्टीयन हैक, डॉ. मतीन अल खबूरी प्रमुख हैं। सम्मेलन में कान, नाक और गला से संबंधित बीमारियां, उनके उपचार संबंधी विषयों पर मार्गदर्शन किया जा रहा है। इनमें जन्मजात बहरापन, स्वरदोष, विभिन्न प्रकार की एलर्जी, चक्कर, नाक की प्लास्टिक सर्जरी, लार ग्रंथि से संबंधित बीमारियों के उपचार संबंधी मार्गदर्शन प्रमुख हैं।
Created On :   11 Jan 2020 2:30 PM IST