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घटाया जा सकता है हज यात्रा का किराया , यात्रा शुल्क में कटौती का मिलेगा लाभ
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हज कमेटी ऑफ इंडिया द्व्रारा हज यात्रा के लिए यात्रियों से भारी भरकम शुल्क लिया जाता है, लेकिन कई मदों को अनिवार्य के बजाय वैकल्पिक किए जाने पर हज यात्रा के शुल्क में कटौती हो सकती है। इससे हज यात्रा का किराया घटेगा और हज यात्रियों की जेब पर बोझ भी कम पड़ेगा।
महाराष्ट्र राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि सन 2019 में हज यात्रा का अजीजिया श्रेणी का किराया 2 लाख 48 हजार 500 रुपए था जबकि ग्रीन श्रेणी का किराया 2 लाख 86 हजार 700 रुपए था। इसमें कई चीजों के लिए अनिवार्य रूप से शुल्क वसूला जाता है। इन्हें वैकल्पिक किया जाना चाहिए। यात्रियों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे संबंधित सुविधाओं का लाभ उठाए या नहीं।
80% लोग नहीं करते मेट्रो ट्रेन से सफर
जानकारों के अनुसार हज के दौरान मेट्रो ट्रेन से सफर अनिवार्य है। यात्री मीना से अराफात और अराफात से मुजदलफा मेट्रो ट्रेन से जाते हैं। इसके लिए प्रति हाजी 9 हजार 335 रुपए शुल्क लिया जाता है। मेट्रो ट्रेन से मीना जाने के लिए करीब 3 घंटे ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है जबकि पैदल केवल डेढ़ घंटे में पहुंच जाते हैं। कई यात्री मेट्रो ट्रेन में भारी भीड़ को देखते हुए और 3 घंटे ट्रेन का इंतजार करने के बजाय पैदल ही निकल जाते हंै। लगभग 80 फीसदी यात्री ट्रेन का उपयोग नहीं करते। ट्रेन में सफर न करने वाले यात्रियों का पैसा डूब जाता है। काफी कम लोग है जो इसका क्लेम करते हैं। उन्हें पैसा मिलता है, लेकिन महीनों बाद। अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं होती कि पैसा वापस भी मिलता है। मेट्रो ट्रेन में सफर को वैकल्पिक किए जाने पर पैसे की बचत होगी।
पैक किया गया खाना पसंद नहीं
हज के दौरान यात्री 5 दिन मीना में रुकते हैं। पांच दिन के लिए हज यात्रियों से अतिरिक्त सेवा शुल्क के नाम पर 20 हजार 22 रुपए लिया जाता है और निवास के लिए 31 हजार 43 रुपए सऊदी मौलिम (एजेेंट) को देते हैं। खास बात यह है कि हज यात्रियों द्व्रारा भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आती रही हैं। यात्रियों का कहना है कि पहले से पैक किया गया खाना दिया जाता है जो स्वादहीन होता है। यह हाजी पर छोड़ा जाना चाहिए कि वह चाहे तो दूसरे कैटरर्स की व्यवस्था कर सके।
बीमा के बावजूद 1,906 रुपए की वसूली
हज यात्रा पर जाने वाले लोगों से बीमा शुल्क 280 रुपए लिए जाते हैं। इसके बावजूद हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा भविष्य में संभावित अनहोनी के नाम पर पिछले वर्ष प्रति हाजी 1,906 रुपए वसूला गया। पिछले वर्ष 1 लाख 40 हजार लोग हज यात्रा पर गए थे। इसके हिसाब से करीब 26 करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले गए। सवाल यह उठता है कि जब बीमा शुल्क लिया जा रहा है, तो भविष्य में संभावित अनहोनी के नाम पर रकम लेना कहां तक जायज है।
बस सर्विस प्रोवाइडर को देते हैं अतिरिक्त 500 रुपए
अजीजिया श्रेणी के हज यात्रियों से बस सेवा के नाम पर 3 हजार 584 रुपए लिए जाते हैं। यात्रियों को निवासस्थल से हरम शरीफ तक बस से लाया और ले जाया जाता है। इसके अलावा अजीजिया बस सर्विस प्रोवाइडर को अलग से 500 रुपए देने पड़ते हैं। हज कमेटी यह रकम बचा सकती है।
1 प्रतिशत अतिरिक्त निवास की व्यवस्था नहीं
सऊदी अरब के नियमों के अनुसार भारत से जितने संख्या में लोग हज यात्रा पर जाते हैं, उसके 1 प्रतिशत अतिरिक्त निवास की व्यवस्था की जानी चाहिए। देखा गया है कि विमान लेट होने पर या अन्य कारणों से यात्रियों द्व्रारा निवासस्थल छोड़े जाने पर उनके निवास की कोई व्यवस्था नहीं की जाती। इसके लिए 438 रुपए प्रति हाजी लिया जाता है।
एक्सेस लगेज चार्ज
जानकारों के अनुसार हज के किराए में एक्सेस लगेज चार्ज के नाम पर 953 रुपए वसूला जाता है। यह राशि यात्रियों से बेड शीट, पिलो कवर, मग के लिए ली जाती है। अधिकांश यात्री अपने साथ बेड सीट, पिलो कवर तथा अन्य चीजें ले जाते हैं। इसलिए इसे वैकल्पिक रखा जाना चाहिए। इससे यात्रियों की 13 करोड़, 34 लाख, 20 हजार रुपए की बचत होगी।
बेहतर हज सेवा के लिए सरकार कटिबद्ध
केंद्र की मोदी सरकार हज यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए कटिबद्ध है। सरकार ने प्राइवेट टूर पर नियंत्रण के लिए ‘हज ग्रुप आर्गनाइजर’ पोर्टल बनाया है ताकि कामकाज में पारदर्शिता बनी रहे। हज का काम विदेश मंत्रालय से अल्पसंख्यक मंत्रालय को सौंपा गया है।
जमाल सिद्दीकी, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य हज कमेटी
Created On :   21 Nov 2019 12:01 PM IST