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कोरोना रोकने सरकार ने बनाई उच्च स्तरीय समित, सरकार के रुख पर जाहिर की नाराजगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि कोरोना के प्रसार व उस पर निगरानी रखने के लिए राज्य मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति बनाई गई है। इस कमेटी में 21 विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है। कमेटी के लोग लगातार केंद्र सरकार के प्राधिकरण के अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए लगातार संपर्क में है। कोरोना के विषय में हर क्षण की जानकारी जुटाई जा रही है और उस पर निगरानी रखने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। मंगलवार को सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे ने कोर्ट को यह जानकारी दी। हाईकोर्ट में कोरोना पर नियंत्रण के लिए सरकार को जरुरी कदम उठाने का निर्देश देने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सागर जोधले व पेशे से वकील सिद्धार्त इंगले की ओर से दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने सरकारी वकील काकडे ने कहा कि कोरोना के नियंत्रण के लिए राज्य के हर जिले के जिलाधिकारी को कोरोना के मरीज को एकांतवाश (कोरेंटाईन) में रखने के लिए अस्पताल की इमारत को अपने कब्जे में लेने का अधिकार दिया गया है। महानगरपालिका, नगरपरिषद व नगरपंचायत के अंतर्गत आनेवाली सभी विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया है। विश्वविद्यालय में परिक्षाएं या तो रद्द कर दी गई या फिर स्थगित कर दी गई है। महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग को परीक्षाएं आयोजित करने से रोक दिया गया है।
रेल यात्रियों की भी हो कोरोना जांच
रेलवे से आग्रह किया गया है कि जैसे इंटरनेशनल व स्थानीय एयरपोर्ट पर कोरोना के जांच की व्यवस्था की गई है वैसी ही व्यवस्था रेल यात्रियों के लिए भी किया। हालांकि इस बारे में अभी रेलवे की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। बसों व लोकल ट्रेनों को सोडियम क्लोराइड से धोया जा रहा है। कोरोना की जांच के लिए 11 हजार पांच सौ किट दी गई है इसके अलावा और किट के लिए आर्डर दिया गया है। जांच के लिए प्रयोगशालाओं की संख्या बढाने पर भी विचार किया जा रहा है। फिलहाल नागपुर में इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज, पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ विरोलॉजी व मुंबई के कस्तुरबा अस्पताल में कोरोना के जांच की व्यवस्था की गई है। राज्यभर में स्थित अस्पतालों को अपने यहां पर कोरोना के मरीज के लिए एकांत वार्ड बनाने के लिए कहा गया है। इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि मुंबई विश्वविद्यालय की परीक्षाएं तो रद्द कर दी है लेकिन परीक्षा फीस भरने व फार्म जमा करने की तारीख नहीं बढी है। इस दौरान खंडपीठ से विद्यार्थियों को आनलाइन परीक्षा फीस जमा करने की छूट देने का आग्रह किया गया। सुनवाई के दौरान मुंबई विश्वविद्यालय के वकील के अनुपस्थित होने के चलते खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 19 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के रुख पर जाहिर की नाराजगी
कोरोना के प्रकोप से निपटने के लिए पुणे के एक संस्थान को जरुरी वित्तीय सहयोग न देने पर बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के रुख पर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत किसी भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परेशानी के वक्त पडोसी देशों की मदद के लिए जाना जाता है ऐसे में यह हैरानीपूर्ण है कि केंद्र व राज्य सरकारें वैश्विक महामारी घोषित किए गए कोरोना से निपटने के लिए पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड नामक संस्थान को वित्तीय सहायता के लिए टाल-मटोल कर रही हैं। हाईकोर्ट में कैंटोनमैंट बोर्ड व इस इलाके में रहनेवाले एक शख्स की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि जीएसटी से जुड़ा उसके हिस्से का भुगतान केंद्र व राज्य सरकार की ओर से न किए जाने के चलते उसके पास स्टाफ को देने व दूसरे खर्च के लिए पैसे नहीं हैं। इसके साथ ही वह पैसे के अभाव में अपने यहां कोरोना के रोकथाम के लिए जरुरी कदम नहीं उठा पा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि इस मामले में निधि का भुगतान राज्य सरकार को करना है जबकि राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि बोर्ड के कामकाज व जरुरतों को देखना केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह पैसे दे। केंद्र व राज्य सरकार के इस रवैए पर खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार संयुक्त रुप से यह आश्वस्त करें की बोर्ड को तत्काल एक करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध हो। ताकि वह कोरोना से निपटने के लिए जरुरी कदम उठा सके। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   17 March 2020 7:18 PM IST