पुणे बीपीओ कर्मचारी हत्या मामला : हाईकोर्ट के  फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार

Ews quota courses in private medical colleges courses
पुणे बीपीओ कर्मचारी हत्या मामला : हाईकोर्ट के  फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार
पुणे बीपीओ कर्मचारी हत्या मामला : हाईकोर्ट के  फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फांसी देने में देरी के आधार पर पुणे की बीपीओ कर्मचारी के साथ दुष्कर्म व उसकी हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा पाए दो मुजरिमों की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के बांबे हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा है कि सरकार इस प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। वहीं मारी गई महिला कर्मचारी के भाई ने आरोपियों की फांसी सजा रद्द करने के निर्णय पर हैरानी जाहिर की है और उसने भी इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में दोषी पाए गए पुरुषोत्म बरोटे व प्रवीण कोकाडे की फांसी की सजा को रद्द कर उन्हें 35 साल तक जेल में सजा काटने का निर्देश दिया है। 

निजी मेडिकल कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस कोटा पाठ्यक्रम की सीटें बढ़ने पर ही

उधर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में यश भूतड़ा नामक विद्यार्थी ने याचिका दायर कर निजी एमबीबीएस कॉलेजों में भी इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन अर्थात, सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) कोटा लागू करने के आदेश जारी करने की प्रार्थना की है। इस याचिका पर प्रदेश डीएमईआर और चिकित्सा शिक्षा व औषधि विभाग ने उत्तर प्रस्तुत किया है। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि  सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसार ईडब्ल्यूएस कोटा तभी लागू किया जा सकता है, जब किसी पाठ्यक्रम की सीटें बढ़ाई गई हों। केंद्र सरकार ने प्रदेश के सरकारी एमबीबीएस कॉलेजों में तो ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के लिए 970 सीटें बढ़ाईं, लेकिन प्रदेश सरकार ने जो  प्रस्ताव निजी एमबीबीएस कॉलजों में भी सीटें बढ़ाने के लिए एमसीआई को भेजा था, उस पर अभी तक एमसीआई ने फैसला नहीं लिया है। जब तक वे सीटें नहीं बढ़ा देते, प्रदेश के निजी एमबीबीएस कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू नहीं किया जा सकता। सीईटी सेल ने हाईकोर्ट से एमसीआई को इस दिशा में निर्देश देने के आदेश दिए हैं। मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता की ओर से एड.श्रीरंग भंडारकर और एड.मनीष शुक्ला ने पक्ष रखा। 

यह है मामला

याचिकाकर्ता के अनुसार,  केंद्र सरकार ने जब सभी कॉलेजों के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया।  महाराष्ट्र में सरकारी एमबीबीएस कॉलेजों में तो यह कोटा लागू किया गया, लेकिन निजी एमबीबीएस कॉलेजों में ऐसा नहीं हुआ। याचिका में बताया गया है  कि स्टेट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल ने इस वर्ष एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए जो प्रोविजनल सीट मैट्रिक्स जारी किया, उसके अनुसार राज्य में 17 निजी और गैर-अनुदानित एमबीबीए कॉलेज हैं। उनमें एमबीबीएस की कुल 2120 सीटें हैं, लेकिन इसमें ईडब्ल्यूएस कोटे का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, राज्य सीईटी सेल और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का यह निर्णय अवैध है। प्रावधान होने के बावजूद ईडब्लूएस कोटे के विद्यार्थी लाभ से वंचित हैं।

Created On :   30 July 2019 12:02 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story