प्रशासकीय कामकाज में मामला खींचे नहीं, तुरंत निर्णय लें : गडकरी

Do not pull matters in administrative work, decide immediately: Gadkari
प्रशासकीय कामकाज में मामला खींचे नहीं, तुरंत निर्णय लें : गडकरी
प्रशासकीय कामकाज में मामला खींचे नहीं, तुरंत निर्णय लें : गडकरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  प्रशासकीय व्यवस्था में निर्णय तुरंत लेना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। कभी न्यायालय में मामला होने के नाम पर, तो कभी किसी कारण मामले को खींचते रहते हैं। हमें ध्यान देना चाहिए कि, किसी एक प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए लगा हुआ होता है और वर्तमान में आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। हमें इस बात को ऐसे समझना चाहिए कि, कर्मचारी को 1 तारीख का वेतन कुछ दिन बाद मिलता है, तो कैसे अनुभव होता है। यदि, वही तीन महीने बाद मिले तो कैसा लगेगा, ऐसे में उद्यमी की स्थिति समझना जरूरी है। 

यह बात केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कही।  ‘लोक सेवा प्रदान करने में सुधार-सरकारों की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन पर होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित कार्यक्रम में गडकरी बोल रहे थे। कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह, महाराष्ट्र सरकार में सचिव अंशु सिन्हा, सेवाओं के अधिकारी, महाराष्ट्र के मुख्य आयुक्त एस.एस. क्षत्रिय, कोंकण की आरटीएस आयुक्‍त मेधा गाडगिल, उप-सचिव, डीएआरपीजी रेणु अरोड़ा उपस्थित थे। 

केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि, प्रशासकीय व्यवस्था के माध्यम से नागरिकों को न्याय देने के िलए अधिकारियों का सकारात्मक दृष्टिकोण, सामाजिक दायित्व और वचनबद्ध होना चाहिए। यंत्रणा को भी पारदर्शक, भ्रष्टाचारमुक्त और समयबद्ध होना चाहिए। भविष्य के बारे में सोचकर करने वाले ही कुछ अच्छा करके दिखाते हैं। प्रशासकीय अधिकारियों की भूमिका इंजन जैसी है, जो अपनी क्षमता के हिसाब से खींचने अर्थात कार्य करता है। ई-गवर्नेंस से तस्वीर बदल रही है फास्टैग 51 फीसदी होने पर ही एक दिन की आय 68 से 81 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इससे प्रतिदिन 13 करोड़ रुपए की आय बढ़ गई है। इतना ही नहीं साल में 10 से 11 हजार करोड़ रुपए बढ़ जाएगा। वही, इससे समय और पॉल्यूशन कितना बच रहा है इस पर भी स्टडी की जा रही है।

गडकरी ने कहा राज्यों की लड़ाई में हमारे हिस्से का पानी पाकिस्तान जा रहा था, जिसे हमने रोकने का निर्णय िलया। हमारे यहां कहावत है कि, मुझे ना तुझे, कुत्ते को डाल दो। इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि, मैं पाकिस्तान को कुत्ता नहीं बोल रहा हूं, गलत मत समझना। केन्द्रीय मंत्री जीतेन्द्र िसंह ने कहा कि, हमने छोटे पदों पर साक्षात्कार खत्म करने का काम किया। महाराष्ट्र ने इसमें सबसे पहले काम किया। पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस से जो शिकायतें पहले 1.5 लाख थी वह अब 15 से 16 लाख पर पहुंच गई हैं, क्योंकि हम उनका निराकरण कर रहे हैं।
 

Created On :   23 Dec 2019 2:18 PM IST

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