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फसल बीमा : जटिल नियमों में उलझे किसान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। फसल बीमा को लेकर बनाए गए जटिल नियम व शर्तों के चलते किसानों को बीमा योजना का लाभ पूरा-पूरा नहीं मिल पा रहा है। गीला व सूखा अकाल पड़ने पर फसल की होने वाली बर्बादी को कम करने के लिए फसल का बीमा कराया जाता है। इसमें बीमा की आधी राशि किसान व आधी राशि सरकार भरती है। बीमा कंपनियों पर अक्सर यह आरोप लगते है कि बीमा का प्रीमियम जितना वसूला जाता है, उतनी क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती। गत वर्ष (2018-19) के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो बीमा कंपनी को प्रीमियम के रूप में 13 करोड़ से ज्यादा की राशि मिली और क्षतिपूर्ति के तौर पर किसानों को 9 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया।
ऐसी है व्यवस्था
नागपुर समेत विदर्भ की खेती सिंचित नहीं हाेने से किसानों को काफी हद तक बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है। बारिश अधिक होने पर गीला अकाल व कम होने से सूखा अकाल से निपटना पड़ता है। राज्य में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या विदर्भ में हुई है। आर्थिक परेशानी, कर्ज व फसल बर्बाद होने से किसान आत्महत्या करने की रिपाेर्ट सामने आती है। किसानों को इस मुश्किल से बाहर निकालने के लिए सरकार ने हर लोणी (कर्ज लेनेवाले) किसान के लिए फसल बीमा अनिवार्य कर दिया है। कपास पर कुल कर्ज का 5 फीसदी व अन्य फसलों पर 2 फीसदी बीमा प्रीमियम लिया जाता है। इतनी ही राशि सरकार अपनी तरफ से भी जमा करती है।
आंकड़े इस प्रकार हैं
2017-18 में जिले में 36218 किसानों ने 4 करोड़ 93 लाख का बीमा प्रीमियम जमा किया। बीमा कंपनी की तरफ से केवल 1447 किसानों को 1 करोड़ 36 लाख की क्षतिपूर्ति दी गई।
2018-19 में 46695 किसानों ने 6 करोड़ 80 लाख का बीमा प्रीमियम जमा किया आैर 6895 किसानों को 9 करोड़ 36 लाख की क्षतिपूर्ति मिल सकी। जितना बीमा प्रीमियम किसानों ने जमा किया, उतना ही बीमा प्रीमियम सरकार भी कंपनी के पास जमा कर चुकी है। पहले इसे राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का नाम था।
2016-17 से इसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नाम दिया गया, मगर किसी किसान को फूटी कौड़ी नहीं मिली। 2016-17 में जिले में 70204 किसानों ने 9 करोड़ 33 लाख का बीमा प्रीमियम जमा किया। इतना ही बीमा प्रीमियम सरकार ने भी जमा किया। किसी किसान को क्षतिपूर्ति नहीं मिल सकी।
2015-16 में जिले में 13248 किसानों ने 1 करोड़ 96 लाख का बीमा प्रीमियम जमा किया। 6675 किसानों को 4 करोड़ 98 लाख की क्षतिपूर्ति मिली थी।
जटिल नियमों से राहत नहीं
बीमा कंपनियों ने जो नियम-शर्त बनाए हैं, उसी के मुताबिक जांच-पड़ताल कर पीड़ित किसानों को कंपनी क्षतिपूर्ति देती है। एक गांव में फसल बर्बाद होने पर किसान को क्षतिपूर्ति नहीं मिलती। सर्कल में फसल बर्बाद होने पर क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया पूरी की जाती है। नियम-शर्तों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं हुआ है। नियम शर्तों को शिथिल करने की अभी तक कोई जानकारी नहीं है। किसान जितना बीमा प्रीमियम भरते हैं, उतना ही सरकार भी जमा करती है। - मिलिंद शेंडे, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी कार्यालय नागपुर
Created On :   3 July 2019 1:43 PM IST