मध्यप्रदेश जानेवाली बसें हाऊसफुल, चौराहे पर बैठकर कर रहे इंतजार

Buses are houseful going to Madhya Pradesh, people waiting on crossroads
मध्यप्रदेश जानेवाली बसें हाऊसफुल, चौराहे पर बैठकर कर रहे इंतजार
मध्यप्रदेश जानेवाली बसें हाऊसफुल, चौराहे पर बैठकर कर रहे इंतजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना की रोकथाम के लिए शहर को लॉक डाउन करने की खबर से शहर के जनजीवन पर जबरदस्त असर हुआ है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ से नागपुर आकर काम करनेवाले मजदूरों ने शुक्रवार दोपहर से ही अपने-अपने घर जाना शुरू कर दिया। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश जानेवाली एसटी बसों को कैंसिल करने से सारी भीड़ ट्रैवल्स बसों में बढ़ गई है। मध्यप्रदेश की ओर जा रही बस में लोग चढ़ रहे थे, उन्हें लग रह था कहीं बस मिस ना हो जाए। सीए रोड गीतांजली टॉकीज चौक से मध्यप्रदेश जानेवाली हर ट्रैवल्स बस हाऊसफूल जा रही है। राज्य सरकार ने नागपुर समेत चार शहरों में लाक डाऊन करने की घोषणा की और इसी खबर के बाद शहर की सड़कों पर गजब की खामोशी छा गई। पडोसी राज्य मध्यप्रदेश व छत्तीसगड़ के हजारों मजदूर नागपुर में काम करते है। लाक डाउन की खबर के बाद मजदूर एसटी बस स्थानक पहुंचे, लेकिन एसटी बसें कैंसिल होने की सूचना के बाद मध्यप्रदेश बस स्टैंड व सीए रोड गीतांजली चौक पहुंचे। गीतांजली चौक के पास से हर एक घंटे में ट्रैवल्स बसों की बुकींग होती है। जिले में काम करनेवाले कामगार एक-एक कर गीतांजली चौक पहुंचे आैर जो बस मिली, उसमें सवार होने लगे। स्थिति इतनी बिकट हो गई कि लोग ट्रैवल्स बस के इंतजार में चौराहे पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करने लगे। शहर छोड़कर अपने घर जानेवालों में कुछ ऐसे भी युवा थे, जो यहां कंपनी में जॉब करते है या शिक्षा लेने के लिए यहां ठहरे हुए है।

बुकिंग करने पर मिलेगी टिकट, उसके बाद मिलेगी सीट

जल्दी घर जाने की मारामारी इसकदर मची हुई थी कि लोगों को पहले बुकिंग करनी पड़ रही थी। कुछ देर के बाद टिकट मिल रही थी आैर उसके बाद बस में सीट दी जा रही थी। एक सीट पर तीन-तीन और कुछ लोग बसों में खड़े रहकर जा रहे थे। भीड़भाड़ में कोरोना वायरस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन लोग इससे बेफिक्र नजर आ रहे थे।

चौराहे से दूर खड़ी थी बस

बुकिंग चौराहे पर व रास्ते पर खड़े-खड़े की जा रही थी। बस को चौराहे से दूर दूसरी जगह खड़ा किया गया था। ट्रैवल्स कंडक्टर से हरी झंडी मिलने के बाद लोग बसों तक पहुंचते थे।

काम नहीं है तो क्या करेंगे

चौराहे पर बस के इंतजार में खड़े कुछ मजदूरों से बात करने पर सीधा जवाब मिला। इनका कहना था कि जब काम ही नहीं तो यहां रहकर क्या करे। घर जाकर परिजनों के साथ रहेंगे। एक महीने के इरादे से घर जाने का जवाब था। घर जाने की इतनी जल्दी क्या, उस पर इनका कहना था कि वैसे भी सबकुछ बंद है। घर जाएंगे और जब काम शुरू होगा, तो वापस आएंगे। 

Created On :   20 March 2020 7:26 PM IST

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