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बाघिन अवनि मृत्यु प्रकरण: वनविभाग ने तैयार की अधूरी रिपोर्ट, आरोपी को बचाने का आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीते वर्ष यवतमाल के पांढरकवड़ा में नरभक्षी बाघिन अवनि को वन विभाग द्वारा गोली मार कर समाप्त करने के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन के अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने कोर्ट में संशोधन अर्जी दायर की है, जिसमें दावा किया गया कि अवनि की मौत के बाद वन विभाग ने नवंबर 2018 में जो प्रिलिमनरी ऑफेंस रिपोर्ट (पीओआर) तैयार की थी वह अधूरी थी, उसमें कई जरूरी जानकारियां नजरअंदाज की गई। साथ ही इस मामले में फारेंसिक रिपोर्ट भी पूरी तरह पुख्ता नहीं है। याचिकाकर्ता ने वन विभाग, वन विकास महामंडल, राज्य स्तरीय जांच समिति पर आपसी साठ-गांठ से जान-बूझ कर मामले में दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में महामंडल के एमडी राम बाबू, असिसटेंट मैनेजर वसंत सरपे, रिजनल फारेंसिक सायंस लैबोरेट्री, नागपुर को प्रतिवादी बनाने की प्रार्थना की। इसे मंजूर करते हुए कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।
ये है आरोप
पर्यावरण प्रेमी संस्था अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में फौजदारी रिट याचिका दायर कर मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। साथ ही हाईकोर्ट से विनती की है कि वे अवनि को गोली मारने वाले शूटर शफत अली खान, असगर अली खान, उपवनसंरक्षक मुखबीर शेख, पशु वैद्यकीय अधिकारी डॉ.बी.एम.कडू के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई शुरू करने के आदेश राज्य सरकार और एनटीसीए को जारी करें।
याचिकाकर्ता के अनुसार, प्रदेश में वन्यक्षेत्रों में मानवी दखल खासा बढ़ गया है। इसी चलते यवतमाल के पांढरकवड़ा में 13 लोगों की मृत्यु हो गई। वन विभाग ने बगैर पुष्टि किए बाघिन अवनि को इन हादसों का जिम्मेदार मान लिया और उसे गोली मारने के आदेश जारी किए गए। कोर्ट ने केवल बाघिन और उसके शावकों को बेहोश करके पकड़ने और अंतिम उपाय स्वरूप ही बाघिन को को गोली मारने को कहा था, लेकिन इसके बाद भी 2 नवंबर 2018 को अवनि बाघिन को गोली मार दी गई।
Created On :   26 April 2019 1:15 PM IST