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फायरफ्लाई वीक: पेंच मे 5 हजार से ज्यादा जुगनू बिखेर रहे हैं चमक
- 80 संरक्षित कुटियों से हुई गिनती
- इन दिनों वर्ल्ड फायरफ्लाई सप्ताह शुरू
- सबसे ज्यादा जुगनू दक्षिण क्रिगी सर्रा बीट में
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पेंच व्याघ्र प्रकल्प में देश ही नहीं, विदेश से भी पर्यटक घूमने आते हैं। लेकिन बता दें कि, पेंच में केवल बाघ ही आकर्षण नहीं है, बल्कि रंग-बिरंगे पक्षियों के साथ अलग-अलग प्रजातियों की तितलियां भी ध्यान आकर्षित करती हैं। यह दिन में आकर्षित करते हैं, लेकिन रात घुप अंधेरे में जंगलों में जुगनू की चमक भी अद्भुत होती है। वर्ल्ड फायरफ्लाई सप्ताह के तहत सोमवार को पेंच की 80 संरक्षित कुटियों में जुगनू की गिनती करने पर पेंच के जंगलों में 5 हजार से ज्यादा जुगनू चमक बिखेरते देखे गए हैं।
सबसे ज्यादा क्रिगी सर्रा बीट में : 700 से ज्यादा स्वेयर किमी मे फैले पेंच के जंगल में सिल्लारी, खुर्सापार, चोरबाहुली, कोलितमारा, पनेरा, नागलवाड़ी आदि रेंज आते हैं। पूरे पेंच में 53 बाघों की मौजूदगी है। इसके अलावा तेंदुओं से लेकर हिरण, जंगली भैंसा आदि वन्यजीव शामिल हैं। यहां बड़ी संख्या में जुगनू भी हैं, जो यहां के हेल्दी एनवायरमेंट की गवाही दे रहा है। इन दिनों वर्ल्ड फायरफ्लाई सप्ताह शुरू है। सप्ताह अंतर्गत 6 और 7 जुलाई की शाम को सुरक्षा शिविर में 8 से 9 बजे तक जुगनुओं को देखा और गिना गया। जंगल में बनाये 80 संरक्षित कुटी से इन पर नजर रखी गई, जिसमें 37 कुटी से इन्हें देखा गया। सबसे ज्यादा जुगनू दक्षिण क्रिगी सर्रा बीट में देखे गए, जिसमें 2 हजार की गिनती की गई। इसके अलावा पूर्वी पेंच में भी इनकी संख्या देखी गई।
कई प्रजातियां हैं : जुगनू, जिन्हें बिजली के कीड़े के रूप में भी जाना जाता है। जुगनू के पेट के निचले हिस्से में एक रासायनिक प्रतिक्रिया, बायोल्यूमिनसेंस के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करने की एक अद्वितीय होती है। यह प्रकाश संचार, साथियों को आकर्षित करने और शिकारियों को दूर रखने सहित कई कार्य करता है। विश्व स्तर पर जुगनुओं की 2 हजार से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमंे से प्रत्येक अपने मनोरम प्रकाश पैटर्न और व्यवहार से अलग हैं। कुछ प्रजातियां अपनी चमक को सिंक्रनाइज करती हैं, जिससें चमकदार प्राकृतिक प्रकाश-शो बनते हैं। उत्सर्जित रंग पीले और हरे से लेकर नारंगी तक होते हैं, जो उनके प्रकाश अंगों के भीतर ल्यूसिफरिन, ल्यूसिफरेज, ऑक्सीजन और एटीपी से जुड़े रासायनिक संपर्क से निर्धारित होते हैं। ये आकर्षक कीड़े 100 मिलियन से अधिक वर्षों से पृथ्वी पर निवास कर रहे हैं और विभिन्न जलवायु और पारिस्थितिक तंत्रों को अपना रहे हैं तथा पनप रहे हैं। जुगनुओं को कई खतरों का सामना करना पड़ता है, जिनमें निवास स्थान का नुकसान, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन शामिल है। इन आकर्षक कीड़ों और उनके द्वारा समर्थित पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए संरक्षण प्रयास आवश्यक हैं।
Created On :   10 July 2024 3:05 PM IST