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इफेक्ट...: आसार...विधानसभा क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर होगा उलट-फेर
- रणनीतिक उलटफेर होने के आसार
- समीक्षा के बाद नए निर्णय लिए जा सकते हैं
- आंकड़ों की राजनीति , सोचने पर मजबूर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव के परिणाम का प्रभाव विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। विधानसभा क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर रणनीतिक उलटफेर होने के आसार हैं। भाजपा व कांग्रेस में चुनाव परिणाम की समीक्षा के बाद नए निर्णय लिए जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी को 1,37,602 मतों के अंतर से जीत मिली है, लेकिन विधानसभा क्षेत्र स्तर पर देखें तो काफी उलट-फेर हुआ है।
उत्तर में चुनौती : अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उत्तर नागपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को चुनौती मिली। इस क्षेत्र में 33 हजार से अधिक मतों के अंतर से पीछे रहना पड़ा। 2019 के चुनाव में भी भाजपा पिछड़ गई थी। इस क्षेत्र में दो बार भाजपा के विधायक चुने गए हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में मिल रही चुनौती से भाजपा को विधानसभा चुनाव की रणनीति बदलनी पड़ सकती है। उत्तर नागपुर में भाजपा के पास टिकट दावेदारों की कमी नहीं है। 50 से अधिक टिकट दावेदार सामने आते रहे हैं। लेकिन अब कहा जाने लगा है कि क्षेत्र में भाजपा को सफल होने के लिए नए सिरे से काम करना होगा। अनुसूचित वर्ग ही नहीं, व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े दो बड़े समाज वर्ग के बीच नाराजगी का कारण भी खोजना पड़ेगा। संगठन कार्य के नाम पर केवल अपने समर्थकों को पद दिलाने वाले नेताओं की भी पहचान करना होगा।
पूर्व में प्रभाव : पूर्व नागपुर में 2019 में गडकरी को सर्वाधिक बढ़त मिली थी। इस बार भी 73 हजार से अधिक मतों के अंतर से वे आगे रहे। क्षेत्र में विधायक कृष्णा खाेपड़े का राजनीतिक प्रभाव भी चर्चा में है। खोपड़े, 2009 से 3 बार विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र में भाजपा में नए टिकट दावेदार भी सामने आने लगे हैं। कोई िनतीन गडकरी के, तो कोई देवेंद्र फडणवीस के करीब होने का दावा कर रहे हैं। गडकरी को मिले सर्वाधिक मतों को देखते हुए खोपड़े का विरोध शायद ही हो पाएगा। कांग्रेस व अन्य दल से टिकट की दावेदारी कर रहे कार्यकर्ताओं को भी क्षेत्र की स्थिति को लेकर नए सिरे से समीक्षा करना पड़ेगा।
मध्य में गड़बड़ : मध्य नागपुर में भाजपा के विकास कुंभारे 3 बार चुनाव जीते हैं। हलबा व मुस्लिम समाज के मतदाताओं के रुझान को लेकर सवालों के साथ दावा किया जा रहा था कि गडकरी को इस क्षेत्र में कम मत मिलेंगे। लेकिन वे कांग्रेस उम्मीदवार से 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से आगे रहे हैं। मध्य से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं में कुंभारे के अलावा अन्य 3 नाम अधिक चर्चा में हैं। ऐसे में उन नेताओं के योगदान की समीक्षा होगी। 2019 के विधानसभा चुनाव में मध्य में कांग्रेस उम्मीदवार 3000 के करीब मतों के अंतर से पराजित हुए थे। इस बार भाजपा विरोधी माहौल के दावे के बाद भी कांग्रेस के पिछड़ने से विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुकों के गणित बिगड़ जाएंगे।
दक्षिण में सब ठीक नहीं : दक्षिण नागपुर में भाजपा 29 हजार से अधिक मतों के अंतर से आगे रही, लेकिन इसे भाजपा के लिए सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता है। विधायक मोहन मते, पूर्व विधायक सुधाकर कोहले, भाजपा के शहर अध्यक्ष बंटी कुकड़े सहित अन्य नेताओं को और अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। इस क्षेत्र में भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव कम मतों के अंतर से जीता था। कांग्रेस के कुछ नेता इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी करते रहे हैं।
दक्षिण पश्चिम व पश्चिम में मुकाबला : 2009 में बने दक्षिण नागपुर विधानसभा क्षेत्र से देवेंद्र फडणवीस 3 बार चुनाव जीते। उन्होंने विकास ठाकरे, प्रफुल गुडधे, आशीष देशमुख को पराजित किया था। क्षेत्र में भाजपा का प्रभाव रहा है। संघ विचार को मानने वाले लोगों की संख्या भी अधिक है, लेकिन जीत के अंतर के मामले में भाजपा बहुत अधिक सहज नहीं रहती है। इस बार क्षेत्र में भाजपा को 33 हजार से अधिक मतों से बढ़त मिली। यहां भी विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा को मेहनत करनी पड़ेगी। पश्चिम नागपुर के विधायक विकास ठाकरे हैं। वहां भाजपा इस चुनाव में भाजपा की बढ़त 7 हजार मतों की रही। इस क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में समान चुनौती मिल सकती है।
Created On :   6 Jun 2024 3:15 PM IST