आदिवासी छात्रावास बना नशेड़ियों का अड्‌डा

आदिवासी छात्रावास बना नशेड़ियों का अड्‌डा
करोड़ों की लागत से बनी है इमारत

डिजिटल डेस्क, गड़चांदूर(चंद्रपुर)। करोड़ों की लागत से बना आदिवासी आश्रमशाला इन दिनों नशेड़ियों का अड्‌डा बन गया है। सरकार ने आदिवासी बहुल क्षेत्र के विद्यार्थियों की शैक्षणिक उन्नति हो इस उद्देश्य से करोड़ों रुपए खर्च कर आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए गड़चांदूर से तीन किमी दूरी पर हीरापुर ग्रामपंचायत अंतर्गत सरकारी जमीन पर छात्रावास बनाया । लेकिन यह सरकारी छात्रावास शो-पीस बनने के साथ चोरों का अड्डा बन गया है। गड़चांदूर नगर परिषद की स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के अध्यक्ष विक्रम येरणे ने विधायक सुभाष धोटे, सांसद बालू धानोरकर, जिलाधिकारी को दिए ज्ञापन में आदिवासी लड़के-लड़कियों के तत्काल शैक्षणिक विकास की मांग की है।

गड़चांदूर पाटण मुख्य सड़क के किनारे 6 करोड़ की लागत से राज्य सरकार के सामाजिक कार्य विभाग द्वारा सभी सुविधाओं के साथ एक सुंदर भवन का निर्माण किया गया । परियोजना अधिकारी आदिवासी विकास विभाग को 7 अप्रैल 2017 को वैधानिक कब्जा दिया गया था। बोकुलदोह से पेयजल की व्यवस्था की गई। आज परियोजना की पाइपलाइन आंशिक अवस्था में आ गई है। खास बात यह है कि कई अखबारों से इस भवन के उद्घाटन की खबर आई थी। 2019 तक छात्रावास का भवन अच्छी स्थिति में था। लेकिन इन दिनों छात्रावास की हालत दयनीय है। पंखे, बिजली का सामान, दरवाजें, खिड़की के शीशे, स्टील की छड़ें, संगमरमर की टाइल्स और अन्य सामान चोरों ने चुरा लिए। कहा जाता है कि यह स्थान वर्तमान स्थिति में जुआरी तथा नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है। लोग पूछ रहे हैं कि भवन बनने के बाद इस छात्रावास की हालत के लिए कौन जिम्मेदार है, गड़चांदूर में कमरा लीज पर लेकर सरकारी खजाने का पैसा खर्च करने का क्या कारण है, शिफ्ट न करने में प्रशासन का क्या मकसद है नए भवन के लिए छात्रावास। चिंता की बात यह है कि पांच साल बाद भी शासन प्रशासन इस मुद्दे की उपेक्षा कर रहा है।

Created On :   11 May 2023 5:07 PM IST

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