वंचित रहने की नौबत: निजी अस्पतालों को सरकारी योजनाओं में रुचि नहीं , उपचार का खर्च महंगा

निजी अस्पतालों को सरकारी योजनाओं में रुचि नहीं , उपचार का खर्च महंगा
  • अस्पतालों को होता है नुकसान
  • उपराजधानी में 150 से अधिक बड़े अस्पताल हैं
  • सरकारी पैकेज दर 20 से 50 फीसदी तक कम

डिजिटल डेस्क, नागपुर । सरकार ने महात्मा ज्योतिबा फुले जन स्वास्थ्य योजना (एमजेपीजेएवाई) और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनस्वास्थ्य योजना (एबीपीएमजेएवाई) को एकत्रित कर दिया है। 1 जुलाई से केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 5 लाख रुपए तक नि:शुल्क स्वास्थ्य लाभ मिलने लगा है। पहले राज्य में केवल एमजेपीजेएवाई योजना अंतर्गत 1.50 लाख रुपए तक नि: शुल्क स्वास्थ्य लाभ मिलता था। योजना का पैकेज बढ़ाने के बावजूद निजी अस्पतालों को सरकारी योजनाओं में रुचि नहीं है। अस्पतालों के लिए बनाया गया सरकारी पैकेज अलग-अलग बीमारियों की जांच व उपचार के खर्च के हिसाब से 20 से 50 फीसदी कम बताया जा रहा है। इसका असर यह हुआ है कि यहां केवल 37 निजी अस्पताल ही योजनाओं से संलग्न हो पाए हैं। इसके अलावा 8 सरकारी अस्पतालों में योजना का लाभ मिल रहा है।

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8 सरकारी व 37 निजी अस्पताल संलग्न : गरीब व मध्यमवर्गीय मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मिलनी चाहिए, इस उद्देश्य से सरकार ने विविध योजनाएं शुरु की है। राज्य में एमजेपीजेएवाई के साथ ही योजना शुरु की गई है। सरकार ने योजना का लाभ दिलाने के लिए कुछ अस्पतालों को संलग्न किया गया है। इन अस्पतालों में मरीजों को योजनाओं का लाभ मिलता है। इनमें 8 सरकारी व 37 निजी अस्पतालों का समावेश है। यहां की आवश्यकता को देखते हुए अन्य बड़े स्पेशालिटी व मल्टी स्पेशालिटी अस्पतालों को भी योजना से संलग्न करना है। लेकिन यह संभव दिखायी नहीं दे रहा है। सूत्रों ने बताया कि योजना अंतर्गत अस्पतालों के लिए जो स्वास्थ्य सेवा पैकेज तैयार किये गए है, वह 20 से 50 फीसदी कम है। इसलिए अस्पतालों को नुकसान होता है।

500 से अधिक मरीजों को लाभ का अनुमान : अधिकतर निजी अस्पताल योजना के साथ संलग्न नहीं होना चाहते। उपराजधानी में 150 से अधिक बड़े अस्पताल हैं, लेकिन केवल 24 फीसदी निजी अस्पतालों में ही योजना का लाभ मिलता है। अस्पतालों में एम्स, डागा, मेडिकल, मेयो, सुपर स्पेशालिटी, लता मंगेशकर हॉस्पिटल, शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल, नेशनल कैंसर इन्स्टिट्यूट समेत 37 अन्य अस्पतालों का समावेश है। इन अस्पतालों में हर रोज 500 से अधिक मरीजों को योजनाओं का लाभ मिलने का अनुमान है। सरकार की तरफ से अस्पतालो के लिए स्वास्थ्य सेवा के पैकेज को बढ़ानेपर नये अस्पताल जुड़ने की उम्मीद है।

जिले में 14.47 लाख कार्ड तैयार : एबीपीएमजेएवाई अंतर्गत 1356 प्रकार की बीमारियों का उपचार करने में लाभ मिलता है। जिनके पास राशनकार्ड है, ऐसे परिवार को 5 लाख रुपए का लाभ मिलता है। प्रति राशनकार्ड 5 लाख रुपए निर्धारित है। सफेद, पीला, केसरी राशनकार्ड योजना के लिए मान्य है। यह राशन कार्ड आधार संलग्न होना जरुरी है। नागपुर विभाग अंतर्गत आनेवाले 6 जिलों में कुल में इस योजना में शामिल करने के लिए 11409674 लाभार्थियों का लक्ष्यांक रखा गया है। अकेले नागपुर जिले में 4756038 लाभार्थी निश्चित किये गए है। लाभ पाने के लिए आयुष्मान भारत कार्ड बनाना अनिवार्य किया गया है। इस संबंध में 28 जुलाई 2023 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी थी। इस पर 28 जून 2024 की अधिसूचना अनुसार अमल होगा। 1 अगस्त 2023 से 79 आरोग्य मित्रों के माध्यम से नागरिकों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। तब से अब तक नागपुर विभाग में 3979900 कार्ड तैयार किये जा चुके है। अकेले नागपुर जिले में 1447000 कार्ड तैयार किये गए है।

Created On :   3 Aug 2024 1:53 PM GMT

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