बढ़ परेशानी: मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद एसटी कर्मचारियों की हड़ताल वापस, वेतन में साढ़े छह हजार की बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद एसटी कर्मचारियों की हड़ताल वापस, वेतन में साढ़े छह हजार की बढ़ोतरी
  • मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद एसटी कर्मचारियों की हड़ताल वापस
  • कर्मचारियों के मूल वेतन में साढ़े छह हजार रुपए की बढ़ोतरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर/ मुंबई। राज्य परिवहन निगम (एसटी) के 11 कर्मचारी संगठनों की कृति समिति द्वारा पुकारी गई हड़ताल को देर शाम वापस ले लिया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्मचारियों के मूल वेतन में साढ़े छह हजार रुपए की बढ़ोतरी को सरकार ने मंजूरी दे दी है। सरकार ने फैसला लिया है कि दो साल से निलंबित कर्मचारियों को वापस लिया जाएगा। एसटी कर्मचारियों की तरफ से बैठक में शामिल वकील गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि एसटी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद बिना शर्त हड़ताल वापस ले ली है। इस बीच एसटी कर्मचारियों की हड़ताल का असर दूसरे दिन भी दिखाई दिया। इस बंद के कारण बुधवार को राज्य के 251 एसटी डेपो में से 96 डिपो बंद में शामिल थे। इसका सबसे ज्यादा असर गणेशोत्सव के लिए कोकण जाने वाले यात्रियों पर देखा गया। बंद के दूसरे दिन 40,069 बस सेवाएं संचालित करने की योजना थी परंतु 27,470 बस सेवाएं रद्द करनी पड़ीं। इसमें से लगभग 70 फीसदी एसटी बसें बंद रहीं। हड़ताल के दूसरे दिन 22 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। जबकि पहले दिन एसटी महामण्डल को करीब 15 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ था।

नहीं चली एसटी की बसें, यात्री हुए परेशान - 14 यूनियनों का काम बंद आंदोलन

नागपुर में एसटी महामंडल की 14 यूनियनों ने मंगलवार से काम बंद आंदोलन शुरू किया था। जिसमें पहले दिन तो ज्यादा असर देखने नहीं मिला, लेकिन बुधवार को विभाग अंतर्गत शहर में 90 व ग्रामीण क्षेत्र में 50 प्रतिशत बसें बंद रही। जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर में चारों डिपो में दिनभर सन्नाटा नजर आया। केवल आंदोलनकारी व बसों का इंतजार करते हुए कुछ यात्री ही गणेशपेठ बस स्टैण्ड पर नजर आये। बड़े शहरों से लेकर छोटे-छोटे देहातों को जोड़ने का काम एसटी महामंडल की बसें करती हैं। जहां कोई साधन नहीं पहुंच पाता वहां एसटी की लाल बसें पहुंच जाती है। लेकिन इन बसों को वहां तक पहुंचानेवाले चालक व कंडेक्टरों को वेतन के नाम पर निजी कंपनियों की तरह वेतन दिया जाता है। जिससे लंबे समय से कर्मचारी यूनियन नाराज है। वही वेतनवृध्दी के लिए लगातार मांगे भी कर रही हैं। इन्हीं मांगों को ध्यान में रखते हुए अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के साथ बैठक का आश्वासन मिला था। लेकिन आश्वासन पूरा नहीं किया गया। जिसके कारण परेशान होकर एसटी महाराष्ट्र कामगार संगठन की ओर से काम बंद आंदोलन का इशारा दिया गया था। जिसमें 13 अन्य यूनियन ने भी सहमति दर्शाई थी। मंगलवार से काम बंद आंदोलन राज्यस्तर पर शुरू किया गया। हालांकि पहले दिन इसका ज्यादा असर नहीं देखने मिला। लेकिन बुधवार को 90 प्रतिशत बसें बंद दिखाई दी।


Created On :   4 Sept 2024 10:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story