राहत: उपचार के बाद जंगली श्वान को जंगल में छोड़ा, बीमारी के कारण दो माह पहले पकड़ा था

उपचार के बाद जंगली श्वान को जंगल में छोड़ा, बीमारी के कारण दो माह पहले पकड़ा था
  • न के शरीर पर लाल रंग के दाग व खुजली से बाल झड़ गए थे
  • वन विभाग ने रेस्क्यू कर पकड़ा था
  • स्वस्थ होने के बाद छोड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर । मंगलवार को जंगली श्वान को स्वस्थ होेने के बाद पेंच व्याघ्र प्रकल्प में छोड़ा गया। इस श्वान को फरवरी माह में पकड़ा था। श्वान के शरीर पर लाल रंग के दाग व खुजली से बाल झड़ जाने से उसका रेस्क्यू किया गया था। दो माह उपचार के बाद जब वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया तो वापस उसी जगह पर उसे छोड़ा गया।

पूर्व पेंच वन परिक्षेत्र अंतर्गत कंपाटमेंट क्रमांक 550, उत्तर किरंगीसरा बीट के गाभा में एक जंगली श्वान 8 फरवरी को देखा गया था। वह पूरी तरह से अस्वस्थ था। शरीर पर लाल दाग व खुजली से बाल झड़ गए थे। यदि वह इसी अवस्था में रहता तो एक ओर किसी और वन्यजीव को संक्रमित करता, तो दूसरी ओर इस श्वान की जान को भी खतरा था। ऐसे में पीपल फॉर एनिमल के डॉ. कस्तुभ व रैपिड रिस्पॉन्स टी पे ने इस मादी श्वान का रेस्क्यू किया। गोरेवाड़ा के माध्यम से जांच की, जिसमें इसे सारकोप्टिक मेंज नामक बीमार होने की बात सामने आई।

गोरेवाड़ा वन्यजीव बचाव प्रशिक्षण केन्द्र के डॉ. शिरीष उपाध्याय, डॉ. सुजित कोलंगथ, पेंच व्याघ्र प्रकल्प के डॉ. रोहिनी बावस्कर, डॉ. निखिल बनगर के मार्गदर्शन में जंगली श्वान पर उपचार हत्तीगोटा नामक जगह पर किया गया। ठीक होने से बाद उसे मंगलवार को पेंच में फिर से रात के वक्त आजाद किया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, उपसंचालक पेंच व्याघ्र प्रकल्प, पूजा लिंबगावकर, सहायक वनसंरक्षक, (शिकारी प्रतिबंधक यूनिट) के मार्गदर्शन में पूरा किया गया।


Created On :   17 April 2024 9:54 AM GMT

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