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Nagpur News: विज्ञान के क्षेत्र में शोधकर्ताओं ने की अनोखी खोज, घाव पर मरहम पट्टी की जगह कृत्रिम त्वचा
- मच्छर भगाने पीली लाइट पौधा बना कारगर
- विश्व की तीन में से एक लैब बनेगी नीरी में
- ब्रेन ट्यूमर पर "नैनो सिस्टम' बनेगी संजीवनी
Nagpur News. विज्ञान के क्षेत्र में शहर के शोधकर्ताओं ने अपना परचम लहराया है। खास बात यह है कि महामारी की रोकथाम के लिए विश्व की तीन में से एक प्रयोगशाला नीरी में बनेगी। प्रमुख खोज में मच्छर भगाने पीली लाइट, घाव पर मरहम पट्टी की जगह "कृत्रिम त्वचा', ब्रेन ट्यूमर पर के लिए संजीवनी "नैनो सिस्टम' शामिल हैं।
घाव पर मरहम पट्टी की जगह "कृत्रिम त्वचा'
इंसान को कहीं भी घाव लगे, उस पर सबसे पहला उपाय मरहम पट्टी करना है, लेकिन नागपुर विश्वविद्यालय के मॉलिक्युलर बायोलॉजी विभाग के शोधकर्ताओं ने एंटीमाइक्रोबियल गुणों वाली कृत्रिम त्वचा की खोज की है। इस शोध से अब घाव पर मरहम पट्टी की जगह कृत्रिम त्वचा लगाई जा सकेगी। मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग के प्रमुख डाॅ. दयानंद गोगले और लिटू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. आरती शनवारे ने परियोजना प्रमुख डॉ. बिपिन लाडे की सहायता से यह शोध पूरा किया है। "सॉलिड ऑक्साइड फ्यूल सेल' यह अनुसंधान का नाम है और इस शोध के लिए पेटेंट भी मिला है।
विश्व की तीन में से एक लैब बनेगी नीरी में
पूरी दुनिया में हाहाकार मचाने वाली कोविड-19 महामारी के गंभीर परिणामों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इससे लड़ने के लिए तैयारी कर रहा है। इसके तहत सार्स कोविड-2 और अन्य महामारी रोगों के नए वेरिएंट और इसके समाधान के संभावित खतरे पर शोध करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने विश्व में तीन प्रयोगशालाओं का चयन किया है। विशेष बात यह है कि एशिया और अफ्रीका खंड में नागपुर के राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरि) में यह लैब बनेगी, जो नागपुर सहित देश के लिए सबसे बड़ी गौरव की बात है। भारत के अलावा बोस्टन और यूरोप में दो प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। इस शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक एवं वायरोलॉजिस्ट डाॅ. कृष्णा खैरनार को जिनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में बुलाया गया था।
मच्छर भगाने पीली लाइट पौधा बना कारगर
डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि बीमारियों ने शहर हो या गांव सभी को परेशान कर रखा है, लेकिन अब एलईडी की पीली रोशनी से विभिन्न बीमारियों का कारण बनने वाले मच्छरों को भगाना संभव हो गया है। नागपुर विश्वविद्यालय के एमएससी नैनो साइंस के छात्रों ने जनहित में यह महत्वपूर्ण शोध किया है। छात्रों के इस अनुसंधान को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी प्राप्त हुआ है। भौतिकी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. संजय ढोबले के मार्गदर्शन में एमएससी नैनो साइंस एवं नैनो टेक्नोलॉजी के छात्र मुकेश तुरकाने, सिद्धेश्वर नागपुरे, प्रणाली झाडे और डॉ. अभिजीत कदम ने यह शोध किया। इसके पहले डॉ. ढोबले ओजोला पौधे से मच्छरों के प्रजनन को रोकने में सफल रहे थे।
ब्रेन ट्यूमर पर "नैनो सिस्टम' बनेगी संजीवनी
दुनियाभर में ब्रेन ट्यूमर के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि समय रहते ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को न समझा जाए, तो यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह बीमारी बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी को प्रभावित कर सकती है। ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए नागपुर विश्वविद्यालय के औषधि निर्माण शास्त्र विभाग की प्रो. डॉ. वीना बेलगमवार और उनके पीएचडी छात्र सागर त्रिवेदी ने यह अनुसंधान किया है। ब्रेन ट्यूमर के कैंसर कोशिकाओं तक नैनो सिस्टम द्वारा दवा पहुंचाने की सफल खोज की गई है। यह खोज ब्रेन ट्यूमर मरीजों के लिए निश्चित ही संजीवनी साबित हो सकेगी।
यश नरड को इंस्पायर फेलोशिप
नागपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के शोध छात्र यश नरड को शैक्षणिक सत्र 2024 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली की इंस्पायर फेलोशिप के लिए चुना गया। शैक्षणिक सत्र 2024 में नागपुर विवि से इंस्पायर फेलोशिप के चुना गया यश एकमात्र छात्र है। यह नागपुर विश्वविद्यालय के लिए बड़े सम्मान की बात है।
Created On :   31 Dec 2024 9:52 PM IST