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Nagpur News: बाघिन पकड़ी गई, 48 गांवों में थी दहशत - मिली राहत, किसान का किया था शिकार

- पारशिवनी तहसील के लोग खौफ में जी रहे थे
- बाघिन पकड़ी गई
- लोगों ने ली राहत की सांस
Nagpur News : लगभग 48 गांवों में दहशत बनी आक्रामक बाघिन आखिर पकड़ में आई। सोमवार को चारगांव परिसर से इसे पकड़ा गया है। बेहोशी का डॉट मारने के बाद बाघिन को नागपुर के गोरेवाड़ा में लाया गया है। उसकी हालत सामान्य बताई जा रही है। इस बाघिन की पारशिवनी तहसील के 48 गांवों में दहशत थी। हाल ही में इसने कोंढासावली में एक खेत में किसान को मारने के बाद 50 फीट तक घसीटा था। इस घटना के बाद से इसकी दहशत और भी बढ़ गई थी। पूरी कार्रवाई मुख्य वनसंरक्षक डॉ. किशोर मानकर के मार्गदर्शन में की गई है।
जानवरों को जिंदा ही खाने लगती थी
जानकारी के अनुसार, गत कुछ महीनों से टी-132 नामक बाघिन का पारशिवनी तहसील में दहशत थी। यह बाघिन जंगली जानवरों का शिकार छोड़ मवेशियों पर अटैक करती थी। हाल ही में पारशिवनी वनपरिक्षेत्र के कोंढासावली शिवार में खेत से घर लौट रहे किसान दशरथ धोटे (55) पर शाम करीब 6.30 बजे इसी बाघिन ने हमला किया था। हमले में किसान की मौत हो गई थी। इस किसान को बाघिन ने 50 फीट तक घसीटा था। इससे बाघिन के आक्रामकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। बताया गया कि, इसके द्वारा कई मवेशियों का शिकार किया गया। मवेशियों को भी वह जब पकड़ती थी, तो जिंदा ही खाना शुरू कर देती थी। किसान को मारने वाली घटना के बाद फिर बाघिन को पकड़ने के निर्देश दिये गये। सोमवार को पेंच व्याघ्र प्रकल्प की टीम की मदद से बाघिन को डॉट मारकर पहले बेहोश किया गया। फिर इसका रेस्क्यू कर इसे नागपुर के गोरेवाड़ा में लाया गया है।
बाघिन को लेकर खास बातें
- 27 फरवरी को नवोदय विद्यालय नवेगांव खैरी मंे बैठक बुलाई थी। बैठक में बाघ का बंदोबस्त व सुरक्षा संबंधी निधि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था। पश्चात पारशिवनी वनपरिक्षेत्र के प्रभारी पद संभालने वाले वनपरिक्षेत्र अधिकारी प्रवीण लेले के मार्गदर्शन में 50 वनकर्मियों की रेस्क्यू टीम ने सप्ताह भर से अभियान चलाया गया था।
- कंपार्टमेट क्रमांक 626 आरएफ मकरधोकड़ा (चारगांव) कुंवारा भिवसन क्षेत्र में ट्रैप लगकार शूटर ने डॉट मारते हुए बाघिन को पिंजरे में कैद किया गया। पश्चात नागपुर के गोरेवाड़ा भेजा गया।जानकारों का यह मानना है
जानकारों की मानें तो इस बाघिन को अपनी मां से पूरी तरह शिकार करने का प्रशिक्षण नहीं मिल पाया था। अक्सर कुछ बाघिन अपने शावकों को 12 महीने में या उससे पहले ही क्षेत्र की तलाश में छोड़ देती हैं। छोड़े गये शावकों को वन्यजीवों का शिकार करने का उनसे गुर नहीं मिलता है। भूख से बचने के लिए वह आसान शिकार की तलाश करते हैं। उपरोक्त बाघिन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उसकी मां बाघिन ने उसे साल भर के अंदर छोड़ दिया था, ऐसे में जंगल के फुर्तीले जानवरों का वह शिकार ही नहीं कर पा रही थी। इस कारण वह इंसानी इलाकों में पहुंचकर आसान शिकार की तलाश में रहती थी।
आमगांव व बाबुलवाड़ा शिवार में समस्या बरकरार
आमगांव व बाबुलवाड़ा शिवार में किसान सहादेव सूर्यवंशी की बाघ के हमले में मौत हो गई थी। ग्रामीणों के विरोध के बाद वनविभाग द्वारा कई दिनों से पिंजरे व ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। बावजूद इसके अब तक बाघ को पकड़ने में वनविभाग को सफलता नहीं मिल पाई। आमगांव, बाबुलवाड़ा, सालई, घोगरा व समीपस्थ गांवों में बाघ की चहलकदमी बनी है। पालतू पशु निशाने पर हैं। कब तक बाघ की समस्या से निजात मिलेगी? यह सवाल किसान भुजंग ढोरे, इंद्रपाल गोरले, सालई (माहुली) के पूर्व सरपंच भुजंग ठाकरे और अन्य ने किया।
Created On :   4 March 2025 5:11 PM IST