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Nagpur News: प्रधान सचिव - पुरातत्व निदेशक को 3 हजार जुर्माने की चेतावनी, इमारत संरक्षित का मामला
- हाई कोर्ट : 11 फरवरी तक अनुपालन रिपोर्ट देने आदेश
- चंद्रपुर के पुरानी सराय इमारत को संरक्षित करने का मामला
Nagpur News. चंद्रपुर शहर में ऐतिहासिक पुरानी सराय इमारत के संरक्षण और संवर्धन की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका प्रलंबित है। कोर्ट ने यह इमारत को संरक्षित स्मारक घोषित करने को लेकर पुरातत्व विभाग के निदेशक को जवाब दायर करने के आदेश दिए थे। लेकिन अंतिम अवसर देने के बावजूद भी जवाब दाखिल नहीं किया गया। इसलिए कोर्ट ने 11 फरवरी तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए है। साथ ही कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि, अगर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई तो शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशक, पर्यटन एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के उप सचिव और पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक को प्रत्येकी 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। पुरानी सराय इमारत को बचाने के लिए अशोक सिंह और अन्य द्वारा नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है। पुरानी सराय इमारत के संरक्षण को लेकर विभिन्न वर्गों में मतभेद है। राज्य पर्यटन विकास विभाग ने 10 नवंबर 2017 को पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर बताया कि इस इमारत को हेरिटेज सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। तो राज्य हेरिटेज प्राधिकरण की राय है कि इमारत को विरासत के रूप में संरक्षित किया जा सकता है। चंद्रपुर महानगरपालिका ने कहा कि यह इमारत क्षतिग्रस्त है और इसे खाली कराने की जरूरत है। फिर भी, पुरानी सराय इमारत को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए हेरिटेज विभाग के सहायक निदेशक ने 17 दिसंबर 2024 को निदेशक को एक प्रस्ताव भेजा। इस मामले को ध्यान में लेते हुए पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या चंद्रपुर में पुरानी सराय इमारत को संरक्षित स्मारक घोषित किया जाएगा? यह सवाल करते हुए शपथपत्र दायर करने के ओदश दिए थे। लेकिन अंतिम अवसर के बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से समय अवधि देने का अनुरोध किया गया। इसलिए कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. अमोल मार्डीकर ने पैरवी की
व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना
यह भवन महाकाली माता के दर्शन के लिए चंद्रपुर आने वाले भक्तों के प्रशासनिक उपयोग और आवास के लिए 1921 बनाया गया था। 1988 में रामनगर पुलिस स्टेशन को इस भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था। अब महानगरपालिका इंटीग्रेटेड अर्बन डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत इस बिल्डिंग को तोड़कर इसकी जगह पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बना रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह फैसला अनुचित है।
Created On :   30 Jan 2025 6:44 PM IST